पिछले चार साल से लगातार बुन्देलखंड मा सूखा पड़ै से किसानन के हालत बहुते ख़राब हवैं। सूखा के कारन चित्रकूट बांदा अउर महोबा जिला के किसानन के हालत बहुतै िर गे हवैं। सरकार कइत से सूखा राहत खातिर किसानन का चेक दीन गें हवैं पै सौ मा तीस किसानन का चेक मिले हवैं बड़े किसानन का सूखा राहत चेक मिले से कुछ तौ राहत भे हवै पै गरीब किसान अबै भी सूखा के मार छेलत हवैं काहे से सूखा राहत का चेक ज्यादातर बड़े किसानन का मिला हवै जबै कि सरकार का आदेश रहा हवै कि छोट –बड़े सबै किसानन का सूखा राहत का चेक मिले का चाही पै अबै तक हिंया के किसानन का चेक नही मिला आये यहै कारन डी, एम, का सरकार कइती से आदेश दीन गा हवै कि 30 दिसम्बर तक किसानन के सूखा राहत का चेक बांट दीन जाये सरकार 30 दिसम्बर तक सूखा राहत का चेक बांटे का आदेश तौ दइ दिहिस हवै पै या तौ आये वाला समय बताई कि किसानन का उनकर हक मिला कि नही कहे से सरकार से कइत से आदेश तौ बहुतै आवत हवै पै का समय से उनकर पालन होत हवै चित्रकूट जिला के गरीब किसानन का सूखा के मार झेलत चार साल होइगे जेहिसे गरीब किसानन अउर ज्यादा गरीब होत चले गें हवैं जउन किसान खुद अनाज पैदा कर के सब के पेट भरत रहै आज उंई खुद एक –एक दाना खातिर तरसत हवैं खेती न होय से किसानन के ऊपर कर्जा लदत चला जात हवै जेहिसे उंई आत्महत्या करै तक तक का मजबूर होइ जात हवैं काहे से किसानन का कत्तौ से मदद नहीं मिलत घर परिवार से महाजन से कहां तक कर्जा लइ के आपन खर्चा चलाइ है। सरकार से किसानन का उम्मीद रहत हवै पै सहायता भी समय से नहीं मिल पावत आये तौ यहिके सरकारी व्यवस्था के नियम इनतान बनावै कि समय से किसानन का हक किसानन तक पहुंच जाये जेहिसे तबै उनकर समस्या खत्म होइ सकी?
सरकार का चाही कि हर आदेश अउर योजना लागू करै के बाद भी पलट के देखै का चाही कि मड़इन का वा लाभ मिलत हवै या नहीं। सोचै वाली बात हवै कि 2015—2016 मा किसानन का चेक नहीं मिल पाई तौ का दस दिना मा उनका मिल जइ हैं। सरकार इं सब काम का पहिले काहे ध्यान नही दिहिस आय?