रोहित चक्रवर्ती वेमुला 30 जनवरी को सत्ताइस साल का हो जाता। इस दलित शोध छात्र ने जिसे राजनीतिक विवाद के कारण हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय से निलंबित कर दिया गया था, अपने दोस्तों से कहा कि वह उन्हें छोटी सी ‘ट्रीट’ भी नहीं दे सकता क्योंकि उसका वज़ीफा बंद कर दिया गया है। कुछ घंटों बाद उसने अपने आप को हॉस्टल के कमरे में फांसी लगा ली। जीवविज्ञान के पीएचडी के विद्यार्थी रोहित की आत्महत्या के विरोध में पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे हैं।
साथ ही स्थानीय बीजेपी संासद और केंद्रीय मंत्री बंदारु दत्तात्रेय के खिलाफ एससी/एसटी कानून के अंतर्गत आत्महत्या को उकसाने के लिए एफआईआर भी हो गई है। अगस्त 2015 में तब मंत्री ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को लिखते हुए विश्वविद्यालय पर ‘मूक दर्शक’ होने का इलज़ाम लगाया था जब दलित विद्यार्थियों का एक समूह जिनमें रोहित भी शामिल था अखिल भारतीय विश्वविद्यालय परिषद् के एक नेता से टकरा गया था।
आत्महत्या के एक दिन बाद ओस्मानिया अस्पताल में रोहित का शव लेने आई उसकी माँ ने कहा, ‘‘मैं बहुत गर्व से अपने गांव में सबको बताती थी कि मेरा बेटा हैदराबाद विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहा है आज मैं उसका शव लेने आई हूं।
केस फाइल
– जुलाई से विश्वविद्यालय ने रोहित को उसका मासिक वज़ीफा 25000 रूपए देना बंद कर दिया था। दोस्तों का कहना है उसे अंबेडकर यूनिवर्सिटी एसोसिएशन (एएसए) में मुद्दे उठाने के कारण निशाना बनाया गया।
– 5 अगस्त को विश्वविद्यालय ने रोहित और एएसए के चार दूसरे सदस्यों के खिलाफ जांच शुरू कर दी। उनके एबीवीपी नेता एन सुशील कुमार से झगड़े के दो दिन बाद।
– 17 अगस्त को दत्तात्रेय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को लिखते हुए कार्यवाही करने को कहा।
– सितम्बर में इन पांचों को निलंबित कर दिया गया। 17 दिसंबर को इसी निर्णय की पुष्टि की गई।
– 3 जनवरी को जब मंजू़री पक्की हो गई तो ये पांचों अपने हॉस्टल के कमरों से निकल आए और कैंपस में लगे टेंटों में ‘क्रमिक’ भूख हड़ताल पर बैठ गए।
– रविवार को पुलिस को उस कमरे से एक पत्र मिला जिसमें रोहित ने आत्महत्या की थी।
रोहित वेमुला की आत्महत्या में किसका हाथ?
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