रुस के केंद्रीय इलाकों में उल्कापिंड (जिन्हें बोलचाल की भाषा में टूटता तारा भी कहते हैं) गिरने से लगभग हज़ार से ज्यादा लोग घायल हो गये। इस उल्कापिंड का वजन दस टन था। उल्का पिंड से निकलने वाले अंगारे लोगों ने आकाष में देखे। लागातार कई धमाके हुए। इससे छह शहरों में नुक्सान हुआ। लोगों ने बताया की धरती हिल रही थी और गाडि़यों के अलार्म खुद बज रहे थे। यहां के एक शहर चेल्यबिन्स्क में एक 9 मंजिल की इमारत की कांच की खिडकियां और दरवाजे टूटने से उनके टुकड़े हवा में फैल गए जिससे सौ से भी ज्यादा लोग घायल हुए। लोगों ने आकाश में जलती हुई चीज़ों को देखा, जो फिर धरती पर गिरीं।
उल्कापिंड होता क्या है?
आकाश में कभी कभी बहुत तेज़ गति से जो पिंड जाते या गिरते दिखाई देते है, उन्हें उल्का कहते हैं। साधारण बोलचाल में इन्हें टूटते तारे भी कहते हैं। इनका कुछ हिस्सा धरती पर गिरता है इसे उल्कापिंड कहते हैं। वैज्ञानिक जगत में इनका बहुत महत्व है इन्हीं के द्वारा वैज्ञानिक आकाश मंडल में ग्रहों और वहां की दूसरी संरचनाओं को समझ पाते हैं। यानी आकाश मंडल के बारे में जानकारी पाने का ये सीधा स्रोत हैं।