6 मई खा महोबा की जनता की प्यास बुझायें के लाने केन्द्र सरकार ने पांच लाख लीटर पानी की ट्रेन भेजी हती। पे राज्य सरकार ने जा कहके मना कर दओ हे की गांव मे पानी की समस्या नइयां। हम पानी की सुविधा कराउत हे ओर पानी लेय से मना कर दओ, ट्रेन झांसी में ठाड़ हे। अगर हकीकत देखे जाये तो कछू ओर नजर आउत हे। जिला मे कोनऊ नदी नइयां जोन तालाब सब सूखे परे हे। चारो केती जानवर प्यास से मरे नजर आउत हे। एते के लोग बूंद-बूंद पानी खा तरसत हे। गांव मे टैंकर जात हे पे पानी जरूरत के हिसाब से पानी नई पोहोंचत हे। पानी की परेशानी रोज की रोज बढ़त समस्या नजर आउत हे।
नेता आपन पार्टी ओर राजनीति मे लगे हे ईखे बीच मे जनता मरत हे। बुन्देल खण्ड मे महोबा जिला सबसे ज्यादा सूखा से प्रभावित हे, जा बात अधिकारी ओर नेता भी जानत मानत हे। फिर भी पानी राजनीति जेसो मुद्दा काय बन गओ हे। आखिर जानता काय नेतन के बीच मारी जात हे।
सवाल जा उठत हे की राज्य सरकार पानी लेय से काय घबरात हे। एक केती खुद नेता ओर सरकार सूखा खा मानत हे दूसर ओई पानी की कमी न होंय की बात करत हे। का जा पानी जानता खा मिलहे, जा राजनीति भेट चढ़ जेहे।
पानी भेजे ओर टेªन रोके वाली बात हर जुबान मे चर्चा बनके रेह गई हे। आदमी कहत हे की केन्द्र सरकार ने गलती करी हे जोन पानी भेजो हे। राज्य सरकार के जेसे ट्रेन मे रूपइया भर के भेज देती तो जीखे मन होतो दे दओ जातो। राज्य सरकार समाजवादी पेशन, राहत पैकिट, कन्या विद्याधन देहे, पे केन्द्र सरकार को पानी न लेहे।
आखिर पुरानी कहावत सामने आ गई कहत हे जीखी लाठी ओई की भैंस, अत्तर प्रदेश सरकार के कछू एसे काम इिखाई देत हे जिला मे पानी की विकराल परेशानी हे, पे पानी समस्या न होंय की बात कहत हे। सवाल महोबा के जिलाअधिकारी पर करो जात हे की जभे पानी आ गओ हे तो लेय पे परेशानी काय होत हे। कहूं राजनीति दबाओ तो नही हे।
राज्य सरकार ने रोकी पानी की ट्रेन
पिछला लेख