बिहार। 2013 में लंबी गर्मी और थोड़ी बहुत बारिश से बिहार राज्य में किसानों पर भारी असर पड़ा। 18 सितंबर को राज्य सरकार ने बिहार के तैंतिस जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया।
राज्य के अड़तिस में से तैंतिस जिलों में सूखा घोषित किया गया है जिसका मतलब है कि आधे से ज़्यादा बिहार राज्य में खेती और किसानी प्रभावित हैं। सबसे ज़्यादा असर धान की खेती पर पड़ा है। जून से सितंबर के बीच थोड़ी-थोड़ी बारिश होने के कारण धान की बुआई ठीक से नहीं हो पाई है। इसके अलावा पूरे राज्य में बीस प्रतिशत धान की फसल सूखे के कारण बेकार हो गई। इस मानसून राज्य में लगभग पच्चीस प्रतिशत कम बारिश हुई है जबकि पूरे मानसून मौसम विभाग कहता रहा कि इस साल सामान्य रूप से हर बार कि तरह बारिश होगी।
पिछले दो महीनों से विरोधी राजनीतिक पार्टियों ने सरकार पर सूखे की स्थिति पर कदम उठाने का दबाव बनाया हुआ था। जुलाई में विधानसभा के मानसून सत्र में पार्टियों ने इस मुद्दे को लेकर बवाल मचाया था। राज्य आपदा प्रबंधन आयोग राहत कार्य शुरू करेगा। तब तक के लिए राज्य सरकार ने किसानों के लिए कजऱ् और बिजली के बिल की वसूली पर रोक लगा दी है। साथ ही 19 सितंबर को मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने केंद्र सरकार से बारह हज़ार करोड़ रुपयों की मांग की है।
सीतामढ़ी, शिवहर और मुज़फ्फरपुर के अलावा पटना, दरभंगा, नवादा, सूपौल, वैशाली, नालंदा, चंपारण, जमुई, शेखपुरा जैसे जिलों में सूखा घोषित किया गया है।
राज्य के तैंतीस जिलों में सूखा घोषित
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