आज उन्नाव में जो हुआ है वो मेरे लिए, मेरे अनुभव को ताज़ा करने जैसा है।
2011 में, बसपा के विधायक पुरुषोत्तम द्विवेदी ने मेरा बलात्कार किया था। मैं तब 17 साल की थी। मुझे इतना दर्द था कि मैं एक कदम भी नहीं चल सकती थी। मेरे शरीर से 22 दिनों तक खून बहता रहा, मैं मानसिक और भावनात्मक रूप से भी टूट गई थी।
मुझे विधायक, उनके सहयोगियों और पार्टी कार्यकर्ताओं ने धमकी दी थी और जब मैंने ऐसा नहीं किया तो उन लोगों ने कुछ दिन बाद झूठे चोरी के केस में जेल में डाल दिया। मैंने जेल में कई दिन बिताए, जहां मुझे वास्तव में सुरक्षित महसूस हुआ क्योंकि हर कोई मुझसे कहा था कि वे मुझे उसी दिन मार सकते थे जिस दिन मैंने उनके खिलाफ कदम उठाया था, लेकिन मैं अभी तक जीवित थी।
मेरे रिश्तेदारों, पड़ोसियों, हर किसी ने मुझे सलाह दी कि जो हो गया उसे जाने दो, भूल जाओ और इस डर से बाहर आओ। मेरा अपना चाचा अपने जीवन में अब डरने लगे थे लेकिन मैं उनको दोष नहीं दूंगी। मैं भी बहुत बहुत डर गई थी। मुझ पर और मेरे परिवार पर सामाजिक दबाव था कि मैं उन लोगों से “समझौता कर लूँ”। वहाँ खतरे थे, कुछ राजनीतिक प्रलोभन मेरे तक आते और मेरे समर्थन में खड़े होने की बात करते।
मैं एक गरीब किसान की बेटी थी, मेरे पास एक बच्चा था, मैं उलझन में थी कि अपनी सीमाओं से बाहर जा कर कैसे लडूं।
लेकिन कुछ था जिसकी वजह से मैं बहुत गुस्से में भी, बहुत बहुत गुस्से में।
फिर मैंने न्याय के लिए लड़ने का फैसला किया।
मैंने शिकायत दायर की, मैंने मीडिया से बात की और मैंने संपप पाल के साथ लिया जो चर्चित गुलाबी गिरोह के कमांडर हैं। मैं दिल्ली गई और समाचार में होने वाली बहस का हिस्सा बनी। मैंने निर्भया प्रकरण के बाद राजधानी में होने वाले विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया। मैं उन आवाजों में से एक थी जो बलात्कार जैसी अमानवीय कृत्यों के लिए मौत की सजा की मांग कर रहे थे। मैं बांदा की पहली महिला थी, जिसने एक राजनेता के खिलाफ मामला दर्ज किया था, यह एक ऐतिहासिक क्षण था।
मुझे अक्सर नायक कहा जाता है, लेकिन मैं आज यह कहना चाहती हूं कि मैं इसे अकेले नहीं कर पाती। मेरे पीछे पत्रकार थे, खबर लहरिया मुझसे संपर्क करने और समर्थन करने वाले पहले मीडिया संस्थानों में से एक था। मेरे पास महत्वपूर्ण राजनेताओं का भी समर्थन था, राहुल गांधी और कांग्रेस मेरे साथ थे। एफआईआर दर्ज करने के बाद और स्वयं की रक्षा के लिए पिस्तौल के बाद मुझे मेरी सुरक्षा के लिए एक गनर भी दिया गया था। ये सब जरुरी था मेरे लिए, मुझे सशक्त बनाने के लिए, मेरे साथ कई व्यक्तियों और समूह थे जो हर तरफ से मेरी मदद के लिए खड़े थे। इन सभी ने मेरी ताकत बढ़ाई।
आज उन्नाव में गैंगरेप झेलने वाली लड़की के लिए यह मेरी प्रबल इच्छा है कि वह पर्याप्त रूप से समर्थित महसूस करती होगी और इसलिए इस बारे में मेरी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेरी अपील है कि वे यह सुनिश्चित करें कि इस लड़की को न्याय जरुर मिल जाए।
क्योंकि, ईमानदारी से कहूँ तो मुझे उम्मीद नहीं है कि उसे न्याय मिल पायेगा। मैं अधिकारियों और सिस्टम को दोषी नहीं ठहरा रही हूं। वे सब सिर्फ शासन का पालन करते हैं और ऊपर केंद्र सरकार जो सत्ता में है उसका भी। सरकार की सत्त्ता दुनिया में सबसे शक्तिशाली तंत्र है, इससे कहीं ज्यादा बड़ा या अधिक शक्तिशाली कोई नहीं है। जब तक कि सरकार मदद के लिए आगे नहीं आती तब तक ये मामला भी दबाव, धमकी, समझौते के चक्र में फंसा रहेगा।
मैं इस मामले में सीबीआई को सौंपने के लिए आदित्यनाथ जी और मोदी जी से अनुरोध करती हूं। पूछताछ कर, तरीके से केस सुलझाया जाये और आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही की जाये।
खुला खत से जुड़ी खबरें देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें…
An Open Letter to Yogi Adityanath
वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने लिखा बीजेपी सांसदों के नाम ‘एक खुला खत’
पूर्व विधायक और कर्णाटक पुलिस के पूर्व डीजीपी एच टी संगलियाना के नाम आशा देवी का खुला ख़त