उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में साल के इस समय महुआ के पेड़ों पर पीले पीले फूल सज जाते हैं। चित्रकूट जिले के बोझ गांव मजरा महावीर का पुरवा की सकुना ने बताया कि यहां लोग कई पीढ़ियों से महुआ बीनते आ रहे हैं।
महुआ पका कर भी खाया जाता है और उसका रस निकाल कर पूआ और बेसन की लपसी भी बनाई जाती है। महुआ सूखने पर बरसात में लोग अरहर की दाल के साथ बनाते हैं। महुआ से दवा और दारू बनाई जाती है। हुआ के फल गुलैदा से भी सब्जी और अचार बनता है। उसके पत्तों से दोना और पत्तरी भी बनाई जाती है।
एक दिन में सकुना का पूरा परिवार पांच से छह किलो महुआ बीन लेता है। वे बताती है कि इस साल महुआ बहुत कम हुआ है इसलिए पेड़ के नीचे बैठकर एक-एक महुआ बीनते लोग नज़र आते हैं।
महुआ का मौसम
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