जिला चित्रकूट, ब्लाक कर्वी। गर्मी में ठण्डा ठण्डा खाने – पीने को मिलता रहे तो क्या बात है। आइए चलते हंै हम कर्वी के कल्लू साहू की मटका कुल्फी खाने। मटका मतलब घड़ा। कल्लू साहू को कोई फ्रिज या फ्रीजर की जरूरत नहीं पड़ती है। कुल्फी बनाने के लिए वह गर्मी में बड़े बड़े मटके खरीदते हैं। और उसके अन्दर थरमाकोल के छोटे टुकड़े अन्दर लगा देते हैं। फिर उसमें बर्फ भर देते हैं। कुल्फी बनाने के लिए दूध और चीनी का घोल बनाते हैं। फिर छोटे छोटे गिलास जैसे सांचों में घोल को डाल कर मटके के अन्दर रख देते हंै। एक घंटे में कुल्फी तैयार हो जाती है।
दो रूपए से लेकर पन्द्रह रूपए तक की कुल्फी मिलती है। लोग मटका कुल्फी खाने के लिए शाम का इंतजार करते हैं। क्योंकि मटका का सोंधापन भी कुल्फी में आ जाता है।