भोपाल, मध्य प्रदेश। पूरे देश में इन दिनों मध्य प्रदेश में हुए व्यापम घोटाले की ही चर्चा हो रही है। व्यापम घोटाला यानी मेडिकल काॅलेजों, इंजीनियरिंग काॅलेजों में भर्तियों और दूसरे सरकारी पदों में फोर्थ ग्रेड और थर्ड ग्रेड की नियुक्तियों में हुई गड़बड़ी। भोपाल के सामाजिक कार्यकर्ता सेवक राजू दूबे ने इस पूरे मामले का खुलासा किया। लेकिन खुलासे के बाद से लेकर अब तक करीब पचास मौतें हो चुकी हैं। केवल इस महीने ही इससे जुड़ी चार मौतें हुईं। इस घोटाले को कवर कर रहे एक पत्रकार, इस मामले की जांच में मदद कर रहे जबलपुर मेडिकल काॅलेज के डीन, एक ट्रेनी सब इंस्पेक्टर और एक कांस्टेबल की मौत।
इस घोटाले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान समेत सरकार के कई बड़े लोग निशाने पर हैं। मुख्यमंत्री के परिवार के कई लोगों के नाम भी इस घोटाले में सामने आए हैं। इस मामले की सुनवाई अभी तक हाई कोर्ट में एस.टी.एफ. यानी राज्य पुलिस के विशेष जांच दल से मिली सूचनाओं के आधार पर हो रही थी। मगर राष्ट्रीय मुद्दा बनने के कारण 7 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को इसे सी.बी.आई. को सौंपना पड़ा। हालांकि इससे पहले मुख्यमंत्री लगातार सी.बी.आई. को यह मामला सौंपने को तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि हाईकोर्ट मामले की बेहतर तरह से जांच कर रही है। यहां तक कि मुख्यमंत्री इस मामले से जुड़ी मौतों को घोटाले से जोड़कर न देखने की अपील कर रहे थे। उन्होंने सी.बी.आई. को यह जांच सौंपते वक्त कहा कि जांच ठीक से चल रही थी लेकिन वह अपने और सरकार के ऊपर पैदा हुए सभी संदेहों को मिटाने के लिए यह जांच सी.बी.आई. को सौंप रहे हैं।
इससे पहले डंपर घोटाले में फंसे थे मुख्यमंत्री
भले ही शिवराज सिंह 2005 से लगातार राज्य के मुख्यमंत्री हों। भले ही वह अपने बेदाग होने की बात कहें। मगर व्यापम घोटाले से पहले भी शिवराज सिंह का नाम घोटाले में आ चुका है। साल 2007 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और उनकी पत्नी साधना सिंह पर डंपर खरीद में घोटाला करने का आरोप लगा था। इनके खिलाफ एफ.आई.आर. भी दर्ज हुई थी। हालांकि 2011 में लोकायुक्त की रिपोर्ट में इनके खिलाफ कोई सबूत न होने की बात कही गई। इसपर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि सत्ता का दुरुपयोग कर इस मामले को दबाया गया है।
क्या है व्यापम – उच्च शिक्षा मंत्री के तहत काम करने वाली एक संस्था है – व्यापम यानी व्यवसायिक परीक्षा मंडल। इसके ज़रिए मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा करवाई जाती है। फिर चयन किया जाता है। दूसरे सरकारी पदों में नियुक्तियां भी होती हैं। मोटी रकम लेकर 2008 से 2013 तक भर्तियां हुईं।