खबर लहरिया चित्रकूट बिना नसबंदी कराये लउटै, अस्ताल से

बिना नसबंदी कराये लउटै, अस्ताल से

Ramnagar - PHC finalजिला चित्रकूट, ब्लाक रामनगर,प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र। हिंया नसबंदी करावैं का कैम्प लाग हवै। औरतै नसबंदी करावै खातिर आवत हवैं तौ उनका लउटा दीन जात हवै। यहिसे आशा कार्यकर्ता का समस्यन का सामना करै का परत हवै।
रामनगर ब्लाक के आशा कार्यकर्ता कल्ली अउर बिसौधा गांव के आशा कार्यकर्ता सुकरी का कहब हवै कि नसबंदी करवावैं खातिर मुश्किल से समझावैं के बाद बोला के केन्द्र मा औरतन का लइत हन, पै केन्द्र मा पलंग के सुविधा न होय के कारन उनकर नसबंदी नहीं होइ पावत हवै। यहिसे उंई औरतन का नसबंदी करवावैं खातिर कहित हन तौ उंई कहत हवैं कि हम नसबंदी न करवइबे। यहिसे परेशानी होत हवै।
नसबंदी करवावैं वाली सुनीता अउर रानी का कहब हवै कि अपने घर का काम छोड़ के केन्द्र नसबंदी करवावैं अइत हन, पै बिना नसबंदी करवाये अपने घर लउटै का परत हवै। यहिसे हमार मनसवा हमका मना करत हवैं कि काहे का केन्द्र जात हौ। जबै तुमका यहिनतान रोजै लउटै का परत हवै। अपने घर का काम देखौ जेहिमा सार हवै। मंहगाई इनतान रोजै बढ़त जात हवै। यहिसे सोंचित हन कि नसबंदी होइ जई तौ सही रही नहीं तौ बच्चा होत रहिहैं तौ उनका कसत खर्चा पूर कीन जई। आज के समय मा बच्चन का पढ़ाउब अउर नींक खाना कपड़ा सबै जरुरी होत हवै अउर बच्चा खुदै कहत हवैं कि हमका हर चीज नींक चाही।
रामनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के डाक्टर गिरीश कुमार पाण्डेय का कहब हवै कि एक दिन मा कुल पच्चीस औरतन के नसबंदी कीन जात हवै। जनवरी 2016 तक नसबंदी कीन जई। कउनौ औरतन का वापस नहीं कीन गा हवै। रही पलंग कम होय के बात तौ सरकार से अउर पलंग के मांग कीन जा सकत हवै।