जिला चित्रकूट, ब्लाक रामनगर, कस्बा राजापुर। हाथ की कला की कोई कीमत नहीं लगाई जा सकती है। राजापुर के मेवालाल एक साल से बांस के सूप और पंखे ही नहीं बल्कि झोले और टोकरी भी बना रहे हैं।
मेवालाल ने बताया, ‘मैं बस में सफर कर रहा था तो कुछ लोगों के हाथ में मंैने बांस का झोला देखा। तभी से मेरे मन में उस झोले को बनाने के लिए उमंग उठी और मैं पिछले एक वर्ष से ये झोले बना रहा हूं।’ बांस के इस नए आकार को लोग बहुत पसंद करते हैं। ‘मुझे एक झोला बनाने में तीन दिन लगते हैं। फिर उसे दो सौ रुपए तक में बेचता हूं।’