खबर लहरिया ग्रामीण स्वास्थ्य बाँदा में डेंगू का कहर जारी है!

बाँदा में डेंगू का कहर जारी है!

जिला बाँदा, ब्लाक नरैनी, गांव सौता 6 अक्टूबर 2016। सौता गांव में डेंगू से चार लोगों की मौत हो गई हैं और गांव में चार लोग इस समय भी डेंगू से पीड़ित हैं, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं। इसके प्रमुख कारण हैं गांव में सरकारी नलों के आस-पास रुका हुआ पानी और गंदी नालियां ।

गांव के रहने वाले रामभद्र, जो 35 साल के हैं, बताते हैं कि बीमारी तीन महीने से फैलती ही जा रही है।

70 साल के हनुमान प्रसाद, जिनके 55 साल के भाई भूराकी मौत डेंगू के कारण हुई है, बताते हैं कि उनके भाई ने दो दिन तक दवाई खाई पर फिर भी तीसरे ही रोज़ उनकी मौत हो गई। प्रशासन की बेफिक्री के बारे में कहते है,“यहां कोई स्वास्थ्य टीम भी अभी तक नहीं आई है।”

जब खबर लहरिया ने स्वास्थ्य अधीक्षक से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने बात करने से मना कर दिया।

चन्द्रपाल सिंह, 50, कहते हैं “लोगों के ब्लड प्लेटलेट्स कम हो रहे हैं, जिससे पता चलता हैं कि लोग चिकनगुनिया, डेंगू जैसी बीमारियों  से पीड़ित हैं। पर राज्य सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है ।” वह आगे कहते हैं कि गांव में मच्छरों को मारने के लिए फॉगिंग होनी चाहिए।

पर गांव में न तो प्रशासन की तरफ से मच्छरों से बचने का कोई जागरूकता कार्यक्रम हो रहा है और न ही गली-गली में मच्छरों को मारने के लिए फॉगिंग की व्यवस्था की जा रही है।

बुधिया, 65, जिनके पति हीरा लाल,70, की मृत्यु एक महीने पहले डेंगू से हुई थी, हमें दुखी मन से बताती हैं,“हम उन्हें इलाज के लिए पहले कलिंजर ले गए फिर बांदा के अस्पताल में दिखाया। पर उनकी  हालत में कोई सुधार न होने पर हम कानपुर इलाज के लिए ले गए। कानपुर में ही उनकी मौत हो गई थी। डेंगू के तीन दिन के बुखार में ही ये सब हो गया।”

सौता  गांव में फैली डेंगू की बीमारी के बारे में पूछने पर धरमपाल कहते हैं कि 26 सितम्बर को उनके 55 साल के भाई इन्द्र पाल की भी मौत डेंगू के कारण हुई थी। धरमपाल जी अपने घर के सामने की नाली दिखाते हुए बताते हैं, “सफाई कर्मचारी गांव के अन्दर सफाई के लिए नहीं आते हैं, वह बाहर-बाहर से सफाई करके चले जाते हैं।”

गांव के अन्य निवासी हमें बताते हैं कि जब से गांव पंचायत का चुनाव पूरा हुआ तब से आज तक कोई सफाई कर्मचारी यहां आया ही नहीं है। कुछ लोग यहाँ खुद से नालियों को साफ करते हैं तो कुछ लोग ये सोचकर नहीं करते कि वह दूसरों की गंदगी को क्यों साफ करें, जब सरकार सफाई के लिए पैसे देती है ।

गांव के लोग इस बीमारी से डरे हुए हैं, कि पता नहीं कौन कब इसकी चपेट में आ जाए और बचाव के लिए प्रशासन की ओर से कुछ करने की आस लगाये हुए हैं।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इस स्थिति पर हमसे कोई बात नहीं करनी चाही।

रिपोर्टर- गीता देवी 

06/10/2016 को प्रकाशित