लखनऊ, उत्तर प्रदेष। 8 अप्रेल 2013 को बुलन्दशहर में एक दस साल की लड़की के साथ एक आदमी ने बलात्कार किया। बलात्कार के बाद आदमी ने लड़की को पिस्तौल दिखाकर चुप रहने की धमकी दी।
लड़की खून में लथपथ घर पहुंची। जब परिवारवालों ने कोतवाली जाकर शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की तो उन्हें रात भर कोतवाली में रुकवाया गया। लड़की की मेडिकल जाँच भी नहीं करवाई गई। जब सुबह परिवारवालों ने फिर शिकायत दर्ज करने की माँग की तो उन्हें महिला थाने भेज दिया गया। महिला थाने में बिना केस दर्ज सुलह कराने की कोशिश की गयी लेकिन जब परिवार शिकायत (एफ. आयी. आर.) दर्ज कराने पर डटा रहा तो माँ और बेटी को जेल में बंद कर दिया गया।
जब इस घटना पर मीडिया वालों की नज़र पड़ी तब जाकर वरिष्ट अधिकारियों ने कार्यवाही की। मेडिकल जाँच भी करवायी गयी जिसके बाद केस दर्ज हो गया है। बलात्कारी फरार पाया गया लेकिन फरार होने के बारह घंटों बाद उसने लड़की के परिवार पर हमला किया क्योंकि उन्होंने उसके खिलाफ शिकायत करने की हिम्मत की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने खुद उत्तर प्रदेश सरकार से इस घटना पर जवाबदेही माँगी है कि पुलिस ने कैसे एक नाबालिक लड़की को जिसके साथ बलात्कार हुआ है, जेल में रखा और केस दर्ज करने में इतनी लापरवाही दिखायी।
बलात्कार के बाद किया दस साल की लड़की को जेल में बंद
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