सन2 008 से चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने इस हत्याकांड के आठ साल बाद आरुषि के माता-पिता, राजेश और नुपुर तलवार, को निर्दोष मानते हुए बरी कर दिया है। यह फैसला न्यायमूर्ति वीके नारायण तथा न्यायमूर्ति एके मिश्र की खंडपीठ ने दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट से आरुषि के माता-पिता तो बरी हो गए लेकिन एक सवाल अब भी सबको परेशान कर रही है कि आखिर आरुषि की ह्त्या करने वाला कौन था या है?
16 मई 2008 को 14 साल की आरुषि तलवार की हत्या हुई थी, उसका गला कटा हुआ था औरशक घर में काम करने वाले हेमराज पर था ।हेमराज की खोज शुरू हुई ही थी की अगले दिन हेमराज का शव भी तलवार परिवार के घर की छत से बरामद किया गया।
इसके बाद पुलिस की जांच आरुषि के माता-पिता तक आई। औरशक के आधार पर पुलिस ने राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद देश में हर जगह इसकी चर्चा चलतीरही।उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने केस सीबीआई को सौंप दिया, औरइस मामले ने फिर एक अजीबमोड़ लियाजब सीबीआई की पहली टीम पर सबूत से हेरफेर करने का आरोप लगा और दूसरी टीम नियुक्त की गई।दो अलग-अलग रिपोर्ट सौंपी गई, जोबिलकुल विपरीत थी, एक में राजेश और नुपुर तलवार को दोषी ठहराया गया, और दुसरे में बेकसूर। इस के बाद राजेश और नुपुर तलवार दोनों को उम्र कैद की सज़ा सुनाई गई।
हत्याकांड परप त्रकार अविरुक सेन की किताब ‘आरुषि’ छपी, जो राजेश और नुपुर तलवार के बेगुनाही के पक्ष में है। इस केस पर आधारित मेघना गुलज़ार और विशाल भारद्वाज ने एक फिल्म भी बनाई, जिसका शीर्षक था तलवार। इस फिल्म ने पुरूस्कार भी जीते, हालांकि आलोचकों का शिकार भी बनी।
तलवार परिवार के सुभ-चिंतकों ने कोर्ट के फैसले पर अपनी ख़ुशी व्यक्त की है। लेकिन, सवाल अभी भी वहीँ हैं, की आरुषि की हत्या किसने की? क्या हुआ था उस रात? आज अगर अरुशी ज़िंदा होती, तो वो 23 साल की होती।