पेरिस। फ्रांस देश की राजधानी पेरिस में 13 नवंबर को हुए आतंकी हमले में एक सौ उनतीस लोगों की जानें गईं। यह हमले फ्रांस के नेशनल स्टेडियम से शुरू हुए थे। करीब चार सौ लोग घायल हो गए। यह हमला दुनिया के सबसे बड़े आतंकी संगठन आईएसआईएस ने किया है। फ्रांस में यह दूसरा बड़ा हमला है। इसी साल जनवरी में यहां की एक मशहूर पत्रिका ‘शार्ली हैब्दो’ के दफ्तर में भी आंतकवादियों ने हमला किया था। इसमें कई पत्रकारों की जानें गई थीं।
यह हमला उस वक्त हुआ जबकि टर्की देश में जी-20 देशों की बैठक चल रही थी। जी-20 देश मतलब दुनिया के बीस शक्तिशाली देशों का एक समूह। यह लोग वैश्विक आर्थिक, राजनीतिक नीतियों पर चर्चा करने के लिए इकट्ठे हुए थे। लेकिन इस हमले के बाद पेरिस पर हुआ हमला बहस के केंद्र में आ गया। सभी देशों ने एकजुट होकर इस आतंकी संगठन से टक्कर लेने की योजना बनाई। हालांकि इस बीच रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन ने एक चैकाने वाला खुलासा किया। उन्होंने कहा कि दुनिया के करीब चालीस देश आईएसआईएस को आर्थिक मदद भेजते हैं। इन देशों में अमेरिका का नाम प्रमुखता से आ रहा है।
फ्रांस और रूस कर रहे हवाई हमले
आतंकी हमले से गुस्साए फ्रांस ने सीरिया के शहर रक्का में जमकर हवाई हमले किए। दरअसल रक्का शहर आईएसआईएस आतंकी संगठन का अड्डा है। इस पूरे शहर में इस संगठन का ही कब्ज़ा है। यहां पर इनके हथियार रखे हैं। इनके प्रशिक्षण कैंप चलते हैं। रूस लगातार यहां मिसाइलें दाग रहा है। अमेरिका भी बमबारी कर रहा है। हालांकि अमेरिका ने ज़मीन से लड़ाई करने के लिए अपनी सेना भेजने से मना कर दिया है।
फिर आतंकियों ने की फायरिंग
18 नवंबर को पेरिस के उत्तरी इलाके में स्थित सेंट डेनिस में भारी गोलीबारी हुई। यहां पुलिस पिछले हमले के सिलसिले में जांच पड़ताल में लगी थी। पुलिस ने भी जवाबी गोलीबारी की। फ्रांस की सुरक्षा को चाक-चैबंद रखने के लिए पुलिस और सेना के कम से कम डेढ़ लाख सैनिक तैनात किए गए हैं। इस हमले में कई पुलिसकर्मी बुरी तरह से घायल हुए। लोग 13 नवंबर को हमले में मरे लोगों को श्रृद्धांजलि देने इकट्ठे हुए थे। फायरिंग की आवाज़ सुनकर भगदड़ मच गई।
फ्रांस में आतंकी हमला
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