‘भोपाल – अ प्रेयर फाॅर रेन’ (भोपाल – बारिश के लिए गुहार) 8 दिसंबर को सिनेमाघरों में लगी। हालांकि पहले हफ्ते में ही फिल्म का कारोबार ठंडा रहा, भोपाल में दिसंबर 1984 में हुई सच्ची घटना पर आधारित फिल्म को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है।
2-3 दिसंबर 1984 की रात मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में कीटनाशक बनाने वाली एक अमेरिकी फैक्ट्री से ज़हरीली गैस लीक हुई थी। इस गैस से आसपास रहने वाले हज़ारों परिवार और उनकी आने वाली पीढि़यां आज तक प्रभावित हैं। साथ ही भोपाल के लोग तीस साल बाद भी मुआवज़े के लिए लड़ रहे हैं।
फिल्म में पूरी घटना और 1984 के भोपाल को दिलीप नाम के रिक्शा खींचने वाले के ज़रिए दिखाया गया है दिलीप गरीबी के कारण ‘यूनियन कारबाइड’ की इसी फैक्ट्री में काम करने लगता है। कंपनी की लापरवाही और फैक्ट्री की सुरक्षा पर भी खड़े हुए सवालों को फिल्म में दर्शाया गया है।
फिल्म में भारतीय और अमेरिकी अभिनेताओं के काम की काफी तारीफ हुई है। फिल्म को अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों में रिकार्ड किया गया है। सच्चाई को दर्शाती यह फिल्म कुछ छोटी-छोटी बातों में भले ही चूक जाए पर तीस साल बाद इस कहानी को दुनिया तक पहुंचाना ज़रूरी और सराहनीय है।
फिल्मी दुनिया से – भोपाल की कहानी
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