आजकल बाॅलीवुड फिल्मों की हर हिरोइन में एक बात ऐसी है जो सब में है। सब पतली दुबली, लम्बी होती हैं। हीरो अलग-अलग हो सकते हैं पर हिरोइन कटरीना, करीना या दीपिका को कद में मात दे पाए तो ही उसे महत्व दिया जाएगा। लेकिन असल जि़्ांदगी में सारी औरतें एक जैसी तो नहीं दिखतीं। इसी असलियत को ‘दम लगा के हइशा’ फिल्म में बखूबी दिखाया गया है।
इस नई कहानी में हिरोइन का किरदार निभा रही भूमि पेडनेकर की यह पहली फिल्म है लेकिन पूरा दम उनकी ऐक्टिंग का है। फिल्म हरिद्वार शहर के एक लड़के की है जिसकी शादी घर वाले तय कर देते हैं। लड़का शादी से नाखुश है क्योंकि उसकी पत्नी ‘मोटी’ है। दोनों की शादी तो हो जाती है लेकिन आपस में बातचीत ना के बराबर है। दोनों एक दूसरे से तलाक लेने को तैयार हैं पर परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती हैं कि दोनों को एक ऐसे मुकाबले में हिस्सा लेना पड़ता है जिसमें पति को पत्नी को उठाकर एक रेस में दौड़ना है।
फिल्म इस जोड़े की कहानी है और परिवार की मज़र््ाी से होने वाली शादियों और आजकल के युवा की सोच को एक मज़्ोदार पर असल कहानी के ज़्ारिए दर्शाती है। फिल्म में 1990 के दशक के जैसा संगीत है जो पुरानी यादों को ताज़्ाा कर देता है और आजकल के फिल्मी गानों से बहुत अलग है। हीरो के रूप में आयुशमान खुराना और हिरोइन के रूप में भूमि पेडनेकर – दोनों ने अपने किरदार बखूबी निभाए हैं।
फिल्मी दुनिया – नई सोच को सौ में से सौ पाॅइंट
पिछला लेख