नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 31 मार्च 2014 को 1993 में दिल्ली में हुए बम धमाके के दोषी देविंदर सिंह भुल्लर को फांसी की सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया। भुल्लर को 1995 में गिरफ्तार किया गया था और 2001 में उन्हें फांसी की सज़ा सुनाई गई थी।
राजधानी में 1993 में कांग्रेस कार्यालय के बाहर हुए बम धमाके में नौलोग मारे गए थे। माना जा रहा था कि इस धमाके के पीछे खालिस्तान के समर्थकों का हाथ था। खालिस्तान के समर्थक सीखों के लिए एक अलग देश चाहते हैं जिसे पंजाब राज्य को काटकर बनाने की मांग है। यह मांग सबसे पहले 1940 में की गई थी पर इसने 1970 और 1980 के दशक में तेज़ी पकड़ी।
1993 में भुल्लर पंजाब के लुधियाना शहर में शिक्षक थे। बम धमाके का निशाना युवा कांग्रेस के नेता और खालिस्तानियों के विरोधी मनिंदर सिंह बित्ता थे जो बच गए। भुल्लर का माफीनामा इसके पहले भी दो बार दर्ज कर चुके थे।
उधर 18 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में सात दोषियों की फांसी की सज़ा भी आजीवन कारावास में बदल दी थी। केंद्र सरकार ने इस फैसले के खिलाफ याचिका दर्ज की थी पर 1 अप्रैल को कोर्ट ने उसे अस्वीकार कर अपने फैसले को बरकरार रखा।