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फसल

नागार्जुन बिहार में मधुबनी जिले के सतलखा गांव के रहने वाले थे। इन्होंने गांव देहात की तस्वीर को अपनी कविताओं के सहारे सबके लाने की सफल कोषिष की। पेष है, यहां पर उनकी एक प्रसिद्ध कविता फसल।

एक के नहीं,
दो के नहीं,
ढेर सारी नदियों के पानी का जादू
एक के नहीं,
दो के नहीं,
लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्ष की गरिमा
एक के नहीं,
दो के नहीं,
हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण
धर्म
फसल क्या है?
और तो कुछ नहीं है वह
नदियों के पानी का जादू है वह
हाथों के स्पर्ष की महिमा है
भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण धर्म है
रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का।