जिला वाराणसी, ब्लाक चोलापुर, गावं बेला दलित बस्ती। इहां के दलित बस्ती में पचास घर हव। वहां तीन पीढ़ी से शौचालय ना होवे से इहाँ के लोग बहुत परेशानी के सामना करे के पड़त हव।
रामेश्वर, अशोक, रामा प्रसाद, गीता, अंजली, मनीषा लाल बहादुर समेत कई लोग के कहब हव कि हमने के शौचालय ना रहे से बहुत परेशानी के सामना करे के पड़त हव। खेत में जब बोआई, जोताई हो जाला तब मेहरारून के बहुत दिक्कत होला। आदमी लोग त कहीं जाके बईठ लेवेलन। लेकिन मेहरास्न के जगह नाहीं मिल पावत। अगर दिन में कभी पेट खराब हो जाई त दिन में इधर उध कहीं छिप के बइठे के पड़ला। गंाव के प्रधान से हमने केतना बार कहली लेकिन एको बार गावं के हलत देखे नाहीं अइलन। जब वोट लेवे के रही त पचास बार अहियन। लेकिन जब गावं में प्रधान हो जहियन त खाली नाम के प्रधान रहलन। प्रधान भइले पर मुंह से ठीक से बोली निकलबे ना करी त समस्या का सुनियन।
इ सब के बारे में प्रधान नन्दलाल के कहब हव कि हम अपै्रल 2013 में 180 शौचालय के प्रस्ताव देहले हई अभहीं तक नाहीं आएल हव हम कुछ कह ना सकित कि कब तक आई।
प्रस्ताव बन गएल – नाम के शौचालय
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