खबर लहरिया बुंदेलखंड नियम पता होंय के बाद भी नइयां ध्यान

नियम पता होंय के बाद भी नइयां ध्यान

mahoba - animalsमहोबा जिला में ई समय जानवरन में गलाघोटू की बिमारी फेलन लगी हे पे शासन प्रशासन कछू ध्यान नई आय। गरीब किसान खे लाने एक जानवर परिवार को हिस्सा होत हे। अगर ऊ मर जात हे तो परिवार पालब मुश्किल परत हे। जभे कि शासन खे पता हे कि बरसात के बाद चारा खांए से बिमारी होत हे, पे सरकारी कर्मचारियन के कान में जूं तक नई नेंगत आय।

सरकारी नियम के अनुसार 15 जून से जानवरन के टीका लगब शुरू हो जाये खा चाही। 15 जून तो का 15 जुलाई तक गांव में जावनरन के टीका नई लगे आय। एक भैंस गरीब आदमी खा हीरा के बराबर होत हे। अगर एक भैंस मर जात हे तो कम से कम पचास हजार को नुक्सान हो जात हे। सरकारी कर्मचारियन की लापरवाही से न जाने कित्ते आदमियन को नुक्सान होत हे। पे ई लापरवाही को भुगतान में सरकार गरीब जनता खा मुआवजा भी न देहे। एक केती सरकारी दवाई ओर डाक्टर भेजत हे ओर फिर ओई डाक्टर गांव में आदमियन से वसूली करत हे।

जैतपुर ब्लाक के महुआंबांध गांव में डाक्टर ने एक जानवर के पांच रुपइया लेय को आरोप लगाओ हे। अगर विभाग में बात कर जवाब मांगो जाये तो आसानी से जवाब मिलत हे कि स्टाफ की कमी हे। जीसे समय से काम नई हो पाउत हे जा फिर अभे दवाई नई आई हे। आरोप खा झूठो कहो जात हे। सवाल जा उठत हे कि कर्मचारियन की कमी पूरी करें की जिम्मेंदारी कीखी आय? का सरकार वेतन कुर्सी में बेठे ओर वसूली करे वाले को देत हे जा फिर गांव तक सुविधा पोहचायें वालंे खा। आखिर शासन प्रशासन गरीबन के साथे एसो काय करत हे?