भारत की मशहूर लेखक, टीचर और महिलावादी कार्यकर्ता शर्मीला रेगे की 13 जुलाई 2013 को कैंसर से मौत हो गई। महिलाओं और दलितों के मुद्दों पर इन्होंने बहुत काम किया।
दलित समाज सुधारक भीमराव अंबेडकर से प्रभावित इन्होंने दलित महिलाओं के खास अनुभवों और कैसे उन्हें दोहरे भेदभाव का सामना करना पड़ता है – इस पर ध्यान दिया। पूरी दुनिया में इनके काम की प्रशंसा हुई। इनके नज़रिए ने दुनिया के लेखकों और समाज सुधारकों का नज़रिया बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नहीं रहीं शर्मीला रेगे
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