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दलितों के लिए बड़ा दिन है 8 जुलाई

maduraiदक्षिण भारत के मदुरई नाम के इलाके में स्थित देश के प्रसिद्ध मीनाक्षी सुंदरेश्वरर मंदिर के इतिहास में 8 जुलाई का बहुत महत्व है। पचहत्तर साल पहले इस मंदिर में पहली बार दलितों को पूजा करने का अधिकार मिला था। पूरी घटना आज़ादी के पहले की है।

दलितों को मंदिर में पूजा का अधिकार दिलाने का मोर्चा मुख्य रूप से दो लोगों ने संभाला। कांग्रेस नेता पी. काकन और हरिजन सेवक नाम के संगठन की अगुआई कर रहे ए. वैद्यनाथ अय्यर। काकन बाद में राज्य के गृह मंत्री बने। उस समय के वरिष्ठ नेता सी. राजगोपालाचारी ने मंदिर में हरिजनों के प्रवेश को उनका बुनियादी हक कहा। उन्होंने राजनीतिक तौर पर पूरे आंदोलन को आगे बढ़ाया। आखिरकार ज़ोरदार विरोध के बाद यह अधिकार दलितों को मिला।
दक्षिण भारत में आज भी ऊंच नीच और छुआछूत जैसी कुप्रथाएं खूब प्रचलन में हैं। ऐसे में इस घटना को याद करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। हां इस शुरुआत से एक लाभ ज़रूर हुआ कि अब मंदिरों में दलितों के प्रवेश को लोग असमान्य नहीं बल्कि सामान्य घटना मानते हैं।