नई दिल्ली। महिलाओं पर हो रहे तेज़ाब हमलों को रोकने के लिए खुले बाज़ार में बिकने वाले तेज़ाब की बिक्री के नियमों को कड़ा किया गया। भारत की सबसे बड़ी अदालत ने इस राज्य और केंद्र सरकार को कढ़ी फटकार लगाई है। चेतावनी दी है कि अगर सरकारें कुछ नहीं करेंगी तो तेज़ाब की खुली बिक्री पर खुद अदालत पूरी तरह से रोक लगा देगी।
भारत की सबसे बड़ी अदालत ने जारी किए नए दिशा निर्देश –
-तेजाब हमले की शिकार महिलाओं को तीन लाख रुपए सरकारी मुआवाज मिलेगा।
-18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को तेज़ाब नहीं बेचा जाएगा।
-बिना फोटो पहचान पत्र के तेज़ाब नहीं मिलेगा साथ ही दुकानदार को ग्राहक का पता रखना ज़रूरी होगा।
-गैर कानून ढंग से तेजाब बेचने वाले पर पचास हज़ार जुर्माना लगेगा।
तेज़ाब हमले में घायल लक्ष्मी ने साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। 22 अप्रैल 2005 में लक्ष्मी के ऊपर तेजाब से हमला किया गया था। लक्ष्मी ने तेजाब हमलों को रोकने के लिए बनें कानून को सख्त करने और हमले की शिकार महिला को मुआवज़ा देने की मांग की थी।
अड़तिस साल की मीना सोनी ने 2004 में उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में गंभीर तेज़ाब हमले का सामना किया। पिछले नौ सालों से, महिला संस्थाओं और शुभचिंतकों के सहयोग से वह लखनऊ में अपने तीन बच्चों के साथ रह रही हैं और सनतकदा संस्था के साथ काम कर रही हैं । सुप्रीम कोर्ट आदेश पर खुशी जताते हुए ‘ऐसे समाज में, जहां महिलाओं के लिए चेहरे की खूबसूरती ही सब कुछ है, ऐसे हाद्से मौत से भी बड़े होते हैं। इसके बाद औरतों को लगता है कि बाहर नहीं जा पाएंगी, कुछ नहीं कर पाएंगी। अपने को इस तरह के हादसे के बाद खड़ा करना, और अपने मनोबल को बनाए रखना, एक लंबी लड़ाई है। मुझे यह भी लगता है कि जब तेज़ाब किसी महिला के चेहरे पर फेंका जाता है, तो अपराधी को दस साल नहीं बल्कि उम्रकैद मिलनी चाहिए।’