तस्वीरें खींचना किसे नहीं पसंद? आजकल हर कोई कैमरे में या मोबाइल में दूसरों की तो दूर खुद की फोटो उतारते नहीं थकता। एक सौ पिछत्तर साल पहले 1839 में 19 अगस्त को दुनिया के सामने पहली बार कैमरे को पेश किया। इसे फ्रान्स देश के लूइस डैगुएर ने बनाया था। इसी दिन की याद में फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है।
लखनऊ के प्रेस क्लब में निरंतर और सनतकदा जैसी संस्थाओं ने मुसलमान लड़कियों द्वारा खींची गई तस्वीरों की प्रदर्शनी का आयोजन किया। फोटो प्रदर्शनी के जरिए इन लड़कियों ने अपने मन में चल रही कई अनकही कहानियों को कैमरे की नज़र से लोगों को दिखाया।
लड़कियों ने खुद वीडियो कैमरा से जो फिल्में शूट की थीं, उन्हें भी दिखाया। ‘कुबूल है?’ फिल्म में इन युवतियों ने दो सहेलियों के बीच बातचीत के ज़रिए सवाल उठाया कि क्या एक लड़की के लिए, शादी करना ही सब कुछ है। वहीं दूसरी फिल्म ‘खलबली’ में समलैंैगिकता पर बात करते हुए, हर इंसान को अपनी मजऱ्ी का साथी चुनने की आज़ादी के मुद्दे को उठाया।