नई दिल्ली। भूटान और जापान के बाद अब प्रधानमंत्री मोदी ने पड़ोसी देश चीन के नेता से मुलाकात की। 16 सितम्बर से 19 सितम्बर तक चीनी राष्ट्रपति ज़ी जिनपिंग भारत के दौरे पर रहे। इस ही दौरान 18 सितम्बर को जम्मू कश्मीर के लद्दाख जिले में भारत और चीन की सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं में तनाव भी दिखाई दिया।
जिनपिंग ने कहा कि वे इस मुलाकात के ज़रिए भारत और चीन के आपसी सम्बंधों को सुधार साथ मिलकर दोनों देशों के विकास के लिए काम करना चाहते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस तरह दोनों देशों की अर्थव्यवस्था और मज़बूत हो पाएगी। 18 सितम्बर को एक विशेष बैठक के बाद प्रेस कान्फ्रेन्स में दोनों नेताओं ने आगे रिश्तों में सुधार की बात की। राष्ट्रपति जिनपिंग ने कहा कि उन्होंने भारत और चीन की सीमा पर सेनाओं के बीच तनाव पर खास ध्यान देने की ज़रूरत है। वे चाहते हैं कि यह मामला जल्द सुलझ जाए जिससे दोनों देश कारोबार कर सकें। मोदी ने यह भी बताया कि जल्द ही दो चीनी औद्योगिक पार्क भारत में बनेंगे और आने वाले पांच सालों में चीन भारत में बीस हज़ार करोड़ रुपए का निवेश कर सकती है।
जहां गुजरात के अहमदाबाद शहर में जिनपिंग का शानदार स्वागत किया गया, वहीं दिल्ली में कई तिब्बती छात्रों ने उनका विरोध किया। नेपाल और भारत से जुड़ा तिब्बत एक ज़माने में स्वतंत्र हुआ करता था पर 1951 से यह चीन के कब्ज़े में है। वहां के छात्र जो भारत में रह रहे हैं, तिब्बत पर चीन के राज के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे।