खबर लहरिया ग्रामीण स्वास्थ्य चित्रकूट में एक बार फिर अस्पताल प्रशासन हुआ शर्मसार।

चित्रकूट में एक बार फिर अस्पताल प्रशासन हुआ शर्मसार।

जिला चित्रकूट, ब्लॉक कर्वी, गांव बैहार, 10 अक्टूबर 2016 बैहार गांव की मंजू, उम्र 22, गर्भवती थी। वह प्रसव पीड़ा होने पर शिवरामपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती होने के लिए गई, पर अस्पताल प्रशासन ने उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया। अस्पताल प्रशासन का कहना था कि प्रसव में अभी समय है। इसके चलते मंजू को अस्पताल के बाहर पेड़ के नीचे अपनी बेटी को जन्म देना पड़ा। इस घटना के प्रकाश में आने के बाद अस्पताल की नर्स को तत्कालीन सेवा से निकाल दिया। इस घटना की विस्तार से जांच के लिए एक कमेटी बना दी है। जो इस घटना में और लोगों की गलतियों का पता लगाएगी।

मंजू प्रसव पीड़ा होने पर रात के 11 बजे इलाज के लिए शिवरामपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में गयीं, पर अस्पताल वाले ने उन्हें भर्ती करने की जगह बच्चा चार दिन बाद होगा कहकर जाने को कहा। प्रसव का दर्द बढ़ने पर मंजू की सास मुन्नी देवी ने गेट खुलवाने की कोशिश की, पर अस्पताल का गेट नहीं खुलता है।

अस्पताल कर्मचारियों के इस रवैये के बारे में मंजू की सास मुन्नी देवी, उम्र 51, कहती हैं, “हमने डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने बोला कि अभी बच्चा नहीं होगा। हमें अस्पताल में जगह नहीं देने पर हम बाहर बैठ गए। सुबह चार बजे हमारी बच्ची पैदा हुई।” मंजू को दर्द में देखकर उसकी सास मुन्नी देवी घबरा गई। इस दौरान एक सफाई कर्मचारी ने पैदा हुई बच्ची को उढाया और अस्पताल का दरवाजा खुलवाया। उसके बाद मंजू को अस्पताल में भर्ती कर लिया गया।

अस्पताल वालों के इस तरह के व्यवहार पर मंजू शिकायती लहजे में बोलती हैं,  “मेरा बच्चा अस्पताल के बाहर हुआ। बच्चा होने के बाद अस्पतालवालों ने हमारे लिए दरवाजा खोल दिया।

मंजू के पड़ोसी अदीप कुमार यादव, अस्पताल में जगह नहीं मिलने की बात से नाराज होते हुए कहते हैं, “11 बजे हम मरीज को अस्पताल में ले गए थे पर अस्पताल के डॉक्टर और नर्स ने चार दिन बाद बच्चा होने की बात कहकर उन्हें अस्पताल से जाने को कहा। अस्पताल को मरीज की जान की भी चिंता नहीं हुई।”

अदीप कुमार बताते हैं, “गलती करने के बाद अस्पताल वाले उलट उन लोगों पर बदतमीजी का आरोप लगा रहे हैं, पर क्या उस समय हम बदतमीजी करते जब हमारा मरीज दर्द से तड़प रहा था।”

बैहार गांव की आशा कार्यकर्ता उत्तरा इस मामले से खुद को दूर रखने के कारण कभी महिला के अस्पताल में होने की बात कहती हैं तो कभी नर्स के दरवाजा नहीं खोल पाने की बात बोलती हैं। कई बार पूछने पर भी जवाब टालती रहती हैं।

चित्रकूट जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी रामजी पाण्डेय इस घटना की जांच के बाद स्टाफ नर्स की गलती होने की बात कहकर बोलते हैं, “आरोपी नर्स को तत्कालीन सेवा से निकाल दिया गया है। वह आगे बताते हैं, इस घटना की विस्तारित जांच के लिए एक कमेटी बना दी गई हैं, जो जांच करके अन्य लोगों की भी इस घटना में गलती का पता लगाएगी। हम रिपोर्ट के अनुसार आगे की कार्रवाही करेंगे।”

इस घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य केन्द्रों में मरीजों के साथ हो रही अनदेखी की पोल खोल दी है।

रिपोर्टर- नाजनी रिजवी और सहोद्रा 

10/10/2016 को प्रकाशित