जनगणना निदेशालय द्वारा जारी किए गए देशीय पंजीकरण डेटा 2013 रिपोर्ट के अनुसार भारत में सत्ताइस प्रतिशत मौतें चिकित्सा के अभाव में होती हैं। सत्ताइस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर आधारित ये आंकड़े यह भी बताते हैं कि कुल मौतों में से सिर्फ तैंतालिस प्रतिशत ही संस्थानों में होती हैं और बाकी तीन से नौ प्रतिशत को ही उचित डाक्टरी देखभाल मिल पाती है।
कुल होने वाली पैदाइशों में से इकहत्तर प्रतिशत संस्थानों में होती है और बाकी डॉक्टरों, नर्सों, दाइयों आदि द्वारा करवाई जाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि काफी बड़ी संख्या में लोग बिना चिकित्सा तक पहुंच के दम तोड़ देते हैं क्योंकि चिकित्सा महंगी होने के साथ गांवों और पहाड़ी इलाकों में उपलब्ध नहीं है।
कई लोग तो छोटे छोटे ऑपरेशन न करवा पाने के कारण ही मर जाते हैं। नारायण, हृदयालय के डॉ शेट्टी का कहना है ‘सरकार शल्य चिकित्सा संबंधी मरीजों से अनाथों जैसा बर्ताव किया जाता है। हालांकी देश में हजारों चिकित्सा केंद्र हैं मगर वहां छोटा सा ऑपरेशन भी नहीं किया जा सकता। शहरों की हालत गांवों की हालत से बेहतर नहीं है। देश में कुल नवजातों की मौत में से सिर्फ 33.1 प्रतिशत ही गांवों में होती हैं। बाकी शहरों में होती है।
चिकित्सा की स्थिति दर्शाती रिपोर्ट
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