छत्तसीगढ़। राज्य में सामने आए चावल वितरण घोटाले में खाद्य वितरण प्रणाली से जुड़े कई विभागों के दर्जनों अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। बड़ी बात यह है कि इसमें मुख्यमंत्री रमन सिंह की पत्नी समेत उनके अन्य करीबियों के नाम भी सामने आ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाले चावल के वितरण में गड़बडि़यों की शिकायत मिलने पर जांच एजेंसी एंटी करप्शन ब्यूरो ने संबंधित दफ्तरों में छापे मारे। इन छापों के दौरान मिली एक डायरी से ऐसे संकेत भी मिले हैं कि इसमें राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह की पत्नी समेत कई अन्य करीबी रिश्तेदार शामिल हैं।
जांच एजेंसी की मानें तो जांच पूरी होने तक इसमें लाखों करोड़ का घोटाला सामने आ सकता है। अभी तक जांच में सामने आए तथ्यों के मुताबिक भुगतान करने के लिए जो बैलेंस शीट बनाई गई थी उसमें कई भुगतान केवल कागज़ी किए गए या गलत नामों पर भुगतान किए गए हैं। चावल मिल मालिकों से अधिकारी मोटा कमीशन वसूलते थे। मिल मालिकों पर चावल की तौल और गुणवत्ता से समझौता करने का भी आरोप है।
राशन वितरण में आदर्श राज्य था छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2009-2010 में एक सर्वे कराया था। इस सरकारी सर्वे रिपोर्ट में कहा गया था कि यहां लगभग पच्चासी प्रतिशत कार्ड धारकों को तय पैंतिस किलो अनाज मिलता है। जबकि बचे हुए लोगों को कम से कम पच्चीस किलो अनाज तो मिलता ही है।
रिपोर्ट में इस सफलता के कुछ कारण भी गिनाए गए थे। जैसे निजी कंपनियों को भी राशन वितरण का ठेका देना। इसके अलावा किसी तरह का भ्रष्टाचार योजना में न हो इसके लिए अलग अलग कार्ड धारकों के घरों की दीवारों पर अलग अलग चिह्न बनाए गए थे। जिससे चुने गए कार्डधारकों को ही अनाज मिले। इस सर्वे के बाद देश में छत्तीसगढ़ को राशन वितरण प्रणाली के मामले में माडल राज्य की तरह देखा जाने लगा था।