मुज़फ्फरनगर। मुज़फ्फरनगर में दंगों का सामना करने वाले परिवारों के बच्चों की पढ़ाई बंद है। सबसे ज्य़ादा चिंता की बात बोर्ड के बच्चों के लिए है। मार्च में परीक्षाएं होनी हैं। लेकिन पढ़ाई बिल्कुल नहीं हो पा रही है।
मुज़फ्फरनगर के शाहरपुर कैंप में रह रहे अज़हर ने बताया कि वह 3 भाई बहन हैं। दो बहने और एक भाई। तीनों की बोर्ड की परीक्षाएं हैं। एक बहन फिरदौस दसवीं में और दूसरी बहन साहिबा और वह खुद बारहवीं में हैं। वह लोग काकड़ा गांव से आए थे। साहिबा और मेरी दसवीं की मार्कसीट जल गईं हैं। किताबे कापी तो हमने खरीद लीं। लेकिन जब मेरी बहन फिरदौस काकड़ स्कूल में पढ़ने गई तो उससे चार महीने की फीस मांगी गई। परीक्षा के लिए अलग से 1100 रुपए मांगे जा रहे हैं। मेरे अब्बू का काम अभी बंद है। फीस भरें तो कैसे? शाहपुर में ही रहने वाला एक और परिवार कुटबा गांव से आया है। परिवार के रहमिल्ला ने बताया कि उनके अलावा उनके तीन और भाई कैंप में हैं। परिवार में 12 बच्चे हैं। दो को छोड़कर सभी पढ़ने वाले हैं। सबकी पढ़ाई बंद है। स्कूल यहां से ढाई किलोमीटर दूर है। हालांकि बेसिक शिक्षा कार्यालय की तरफ से कैंपों में सरकारी टीचरों को पढ़ाने के लिए भी नियुक्ति के आदेश दिए गए थे। लेकिन कोई पढ़ाने नहीं पहुंचता है।
मुज़फ्फरनगर पर नज़र – चार महीने से ठप पढ़ाई
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