गुजरात। 15 जून 2004 को गुजरात के अहमदाबाद-गांधीनगर रास्ते में पुलिस मुठभेड़ में चार लोग मारे गए थे। इनमें से एक थी उन्नीस साल की मुंबई की छात्रा इश्रत जहां। एक ओर गुजरात पुलिस के अनुसार इश्रत आतंकवादी गिरोह का हिस्सा थी पर केस की जांच कर रही सी.बी.आई. ने 3 जुलाई की अपनी रिपोर्ट में इस बात पर सवाल उठाया है। इश्रत के लिए न्याय मांग रहे उसके परिवार ने 11 जुलाई को बताया कि केस को लेकर उन्हें धमकियां मिल रही हैं।
मुंबई में पढ़ रही इश्रत नौकरी के कारण जावेद शेख के साथ अहमदाबाद में थी। 15 जून 2004 को अहमदाबाद पुलिस के एक विशेष गुट ने इश्रत, जावेद और जावेद के साथी अमजद और ज़ीशान को आतंकवादी मानकर मार गिराया। डिप्टी कमिश्नर डी.जी. वंज़ारा की इस टीम के अनुसार ये चार लोग गुजरात मुख्यमंत्री को मारने की योजना बना रहे थे। घटना पर सवाल तब उठा जब इस पुलिस टीम और वंज़ारा पर 2005 में फजऱ्ी मुठभेड़ का केस चला।
2009 की तमांग रिपोर्ट में गुजरात के मजिस्ट्रेट एस.पी. तमांग ने साफ शब्दों में कई पुलिस कर्मियों को फजऱ्ी मुठभेड़ के लिए जि़म्मेदार ठहराया है। रिपोर्ट के अनुसार पुलिस कर्मी मुख्यमंत्री के सामने बड़ा बनकर अपनी तरक्की के लिए ऐसे मुठभेड़ों को अंजाम दे रहे थे। 2010 में एक दूसरे जांच दल ने कहा कि ये मुठभेड़ फजऱ्ी थी। 2011 में कोर्ट ने केस की जांच सी.बी.आई. को सौंपी।
एक साल से ज़्यादा के बाद सी.बी.आई. ने सहायक पुलिस कमिश्नर जी.पी. सिंघल को गिरफ्तार किया। डी.जी. वंज़ारा पर भी सी बी आई की कारवाही जारी है।