जिला महोबा, गांव चपका शहर के मुकाबले गांव में जीवन गुजार बो कछू ज्यादा ही कठिन होत। एसो ही देखबे मिलो महोबा जिला के चपका गांव में बारह बी कक्षा की छात्रा निशा ने फैल होबे पे आत्महत्या कर लइ। जंगल और पहाड़ के बीच में फंसो जो चपका गांव में कच्ची सड़क होबे के मारे बच्चा स्कूल नइ जा पात। जी के कारन उनकी पढाई पे बुरो असर पर रओ। चपका गांव से वेलाताल की रास्ता सात किलो मीटर दूर हे। जीसे बच्चन को साइकिल से जाने परत।जिला महोबा, गांव चपका शहर के मुकाबले गांव में जीवन गुजार बो कछू ज्यादा ही कठिन होत। एसो ही देखबे मिलो महोबा जिला के चपका गांव में बारह बी कक्षा की छात्रा निशा ने फैल होबे पे आत्महत्या कर लइ। जंगल और पहाड़ के बीच में फंसो जो चपका गांव में कच्ची सड़क होबे के मारे बच्चा स्कूल नइ जा पात। जी के कारन उनकी पढाई पे बुरो असर पर रओ। चपका गांव से वेलाताल की रास्ता सात किलो मीटर दूर हे। जीसे बच्चन को साइकिल से जाने परत। जा सड़क की हालत बरसात में और ज्यादा ख़राब हो जात बच्चा कीचा में फंसबे के मारे स्कूल नइ जा पात। अगर कोऊ बीमार भी हो जात तो बाको समय से इलाज भी नइ मिल पात। जी से बाकी मृत्यू हो जात। आशा देवी निशा की मताई ने बताई के पैदल जात ती कोनऊ साधन नइया। इते से चार बजे निकर जात ती पेपर देबे फिर छह बजे कुलपहाड़ से टैक्सी से जात ती। दीपेन्द्र व्यास छात्र ने बताई के फेल होबे को कारन सड़क हे अगर सड़क ख़राब नइ होती तो बो रोज स्कूल जाती और बो मेहनत करत ती तो पास हो जाती और फैल होबे के मारे बाने इतनो बढो कदम उठाओ।रोहणी और रीता ने बताई के देर हो जात ती तो नइ जा पात ते स्कूल। और बरसात में कीचा में परेशानी होत आबे जाबे में। जगदीश मोड़ी के चाचा ने बताई के हमाय गांव से सात आठ मोड़ी मोड़ा जात पढ़बे के लाने। अगर सड़क हो जाए तो साधन भी चलन लग हे तो सबको सुविधा हो जेहे। ब्रजनंदन ने बताई के अगर कोऊ बीमार हो जात तो तत्काल नइ पहुच पात चाह मृत्यू हो जाबे। निधि ने बताई के अगर सड़क हो जाए तो सब हो जाए काय के फिर अपने साधन से भी जा आ तो सकत समय से। अगर कोऊ सोचे के हमे तैयारी करने तो करइ नइ सकत। काय के और इतनी व्यवस्था हो नइ पात के बाहर कमरा लेके रेबे। जब हमाई पत्रकार जा मुद्दा को लेके पी डब्लू डी ऑफिस पहुची तो उन्हें एक अधिकारी से दुसरे अधिकारी के पास भेजो लेकिन सही जबाब नइ मिलो। तनक देखो योगी सरकार ने विकास खंड को कितनो बुरो हाल हे। योगी सरकार ने सड़कन के गड्डा भरबाबे की बात कई ती लेकिन इते तो पूरी सड़क ही बनबे के लाने बाकि हे। सरकार निशा की की मौत की भरपाई नइ कर सकत लेकिन एक सड़क को निर्माण करके दुसरे बच्चन और मरीजन की जिन्दगी जरुर बचा सकत।
रिपोर्टर- श्यामकली
20/06/2017 को प्रकाशित