खबर लहरिया बाँदा केहिके खातिर आये हैं अच्छे दिन

केहिके खातिर आये हैं अच्छे दिन

फोटो साभार : रोयटर्ज़

फोटो साभार : रोयटर्ज़

कबै अइहैं अच्छे दिन, आजकल या चर्चा हर इंसान के जुबान मा है। काहे से नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनैं के बाद ‘अब अइहैं अच्छे दिन’ का मंत्र जपा जाय लाग रहै। केन्द्र सरकार के लगातार कइयौ दरकी डीजल पेट्रोल के दाम घटैं से अच्छे दिन आवैं के उम्मीद बढ़ गे रहै कि रोजमर्रा की चीजैं भी सस्ती होई जइहैं। चाहे वा किराया होय या फेर खाय पियैं वाली चीजैं। या उम्मीद उम्मीद बन के रहि गे है। न ही किराया घटा अउर न ही रोजमर्रा के चीजैं।
आम जनता मा या बात के बहुतै गुस्सा है। अगर मड़इन का अच्छे दिन देखैं का होय तौ केन्द्र सरकार के दूसर कारनामा का इंतजार करै। अगर डीजल पेट्रोल के दाम घटे हैं तौ तेल कम्पनिन अउर बड़े-बड़े उद्योपतियन का बहुतै बड़ा फायदा है। उनका फायदा तौ सरकार का फायदा कतौ नहीं जात आय। पिछले दुई साल मा अगर मंहगाई आसमान छुअत है तौ सिर्फ डीजल पेट्रोल के दाम बढ़ै से या कहा जात रहै कि डीजल पेट्रोल के बढ़त दाम सीधा असर रोजमर्रा के चीजन मा डालत है। कइयौ चीजैं विदेशन से मंगाई अउर भेजी जात हैं। अगर डीजल पेट्रोल का दाम बढ़ी तौ बाकी चीजन का भी दाम बढ़ी। सीधी सी बात या है कि अगर डीजल पेट्रोल के दाम घटे हैं तौ मंहगाई भी कम होय का चाही। मंहगाई का असर आम जनता के ऊपर पड़त है। मतलब कि प्रधानमंत्री के अच्छे दिन सिर्फ उंई लोगन खातिर हैं जेहिके खातिर मंहगाई कउनौ मायने नहीं राखत आय।