जिला सीतामढ़ी, प्रखण्ड रीगा, गांव अन्हारी के ईख (गन्ना) किसानों ने दिसम्बर 2012 से मार्च 2013 तक की अपनी फसल रीगा चीनी मिल में दी है जिसका पैसा उन्हें अभी तक नहीं मिला है। इसके कारण किसानों को काफी परेषानी हो रही है।
वहां के किसान रूदल महतो, शंकर महतो, राजनन्दन महतो, महेष महतो का कहना है कि ईख की खेती में बहुत खर्चा है। गन्ना एक साल में तैयार होता है। उसमें समय से पानी और खाद पड़ती है। उसके बाद मजदूर लगाकर ईख तैयार कर चीनी मिल को देते है। वह समय से पैसा नहीं देते हैं जिसके कारण हम लोगों को बहुत दिक्कत होती है। किसान खेती की कमाई से रहते हैं। उसी से घर चलाते हैं। अब खेती का समय आ गया है और उसमें भी पैसा लगेगा। मिल में पैसा फंसा होने के कारण कर्जा लेकर काम करना पड़ रहा है। समय पर खेती न करने से फसल को नुकसान होता है।
चीनी मिल के कर्मचारी का कहना है कि हम ने सबका चेक सेन्ट्रल बंैक को दिया था लेकिन कोरबैंकिग खाता नहीं रहने के कारण चेक वापस चला आया है। अन्हारी गांव के तीस चेक हैं। हमने इसके बारे में मुजफ्फरपुर जूनियर मैनेजर को चिट्टी लिखी है। अब वहां से जब आदेष मिलता है उसके बाद ही कुछ हो पाएगा। अभी 24 फरवरी 2013 तक का भुगतान हो रहा है। जिसका खाता कोरबैंकिंग के बैंकों में है उन सब का चेक भेज चुके हैं। ये समस्या एक गांव की नहीं पूरे जिले की है।
कोरबैंकिंग एक ऐसी सुविधा है जिस से आप किसी भी बैंक की शाखा से अपना पैसा निकाल या डाल सकते हैं, जरूरी नहीं कि अपने ही शाखा में जाएं। ये सुविधा राष्ट्रीय बैंकों में
उपलब्ध हैं, ग्रामीण बैंकों में अक्सर ये सुविधा नहीं होती।
किसानों का पैसा फसा
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