दरअसल, 20 नवंबर को मोहाली में एक 22 साल की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था। उसने घर जाने के लिए ऑटो रिक्शा लिया। ऑटो में दो लोग पहले से ही बैठे थे। लड़की को लगा कि वे यात्री हैं। इसी दौरान ऑटो ड्राइवर सुनसान सड़क पर ऑटो में खराबी आने का बहाना बनाकर उसे रोक दिया। युवती जब किराया देने की बात कहने लगी तभी ऑटो ड्राइवर के दोस्तों ने लड़की का मुंह दबा लिया और झाड़ियों में ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया।
इस बारे में किरण खेर ने युवती को नसीहत देते हुए कहा कि जब ऑटो में तीन लोग बैठे हुए थे, तो उसे बैठना ही नहीं चाहिए था।
इस बीच उन्होंने अपने अनुभव साँझा करते हुए कहा कि “जब हम मुंबई में रहते थे तो और कहीं जाने के लिए टैक्सी लेते थे, तो अपनी सुरक्षा के लिए जो भी साथ में पहुंचाने आता था उसे टैक्सी का नंबर लिखा देते थे। क्योंकि हम अपनी सुरक्षा चाहते थे। ”
अब उस युवती की तरफ से घटना को देखते हैं, चंडीगढ़ में उस युवती ने ऑटो क्यों लिया क्योंकि वहां लगभग 7। 45 बजे था और उस समय सेक्टर 37 से मोहाली तक कोई बस सेवा नहीं चलती है। सूत्रों के अनुसार, चंडीगढ़ में सार्वजनिक परिवहन न के बराबर है और कुछ बसें जो चलती हैं वह रात में कम हो जाती हैं ऐसी स्थिति में, आंटी किरण का क्या मतलब है कि महिला ने ऑटो लेकर गलत किया? क्या वह डर से अपने घर बैठ जाती? क्या वो दूसरे ऑटो का इंतज़ार करती या किसी कार सेवा को बुलाती? हम यह क्यों भूल जाएँ कि यही कार चालक भी कथित तौर पर बलात्कारियों में से एक है।
किरण खेर से जब पूछा गया कि चंडीगढ़ में महिला आयोग क्यों नहीं है, तब उनका जवाब था कि शहर में एक महिला सांसद, एक महिला महापौर और एक महिला एसएसपी है, इसलिए महिला आयोग की कोई आवश्यकता नहीं लगती। उन्होंने कहा, “मैं वहां हूं, महिलाएं मेरे पास आ सकती हैं।”
अब जरा सोचिये, जो महिला चंडीगढ़ में महिला आयोग के न होने पर इस तरह का जवाब दे कर अपना पल्ला झाड़ सकती हैं वह किस तरह से महिला सुरक्षा की बात सोच सकती हैं और उसके लिए ठोस कदम उठा सकती हैं!