सरकार 2006 मा जननी सुरक्षा योजना तौ लागू कइ दिहिस, पै वा योजना मा जउन सुविधा मेहरिया का मिलै का चाही। वा बहुतै कम मिलत हवै। अगर सुविधा मिलत भी हवै तौ हजारन चक्कर काटै के बाद सैकड़न रूपिया खर्चा करै के बाद मिलत हवै।
अगर कउनौ का जानकारी नहीं आय तौ वा मड़ई तौ बिना सुविधा के रही जात हवै। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के चित्रकूट अउर बांदा जिला मा हमेशा कउनौ न कउनौ समस्या बनी रहत हवै। जेहिमा एक समस्या जननी सुरक्षा के भी हवै। सरकार मेहरियन के बच्चा होय के बाद अड़तालिस घन्टा बाद तक नाश्ता खाना के व्यवस्था करवाइस हवै, पै जिला मा कउनौ अस्पताल मा या सुविधा ठीक से नहीं चलत आय।
सरकार योजना मा करोड़ऩ रूपिया तौ फूंकत हवै, पै वा रूपिया कहां जात हवै। कत्तौ पलट के काहे नहीं देखत आय। कागज मा तौ हवै कि नाश्ता मा अण्डा, दूध, ब्रेड अउर चाय दीन जई, पै अस्पताल मा तौ नाश्ता कत्तौ मिलतै नहीं आय। खाना मा चार पूड़ी अउर सब्जी दइ के आपन जिम्मेदारी पूर कीन जात हवै?
का इनतान से जननी सुरक्षा योजना का नींक बनावा जा सकत हवै। मेहरिया का पेट भर नाश्ता खाना न मिली तौ उनके ताकत कइसे अई। कत्तौ कत्तौ तौ डिलेवरी करवावै अउर अस्पताल लइ जाये खातिर गाड़ी ड्राइवर अउर ए.एन.एम रूपिया भी लइ लेत हवैं।
कसत मिली योजना का लाभ
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