जुलाई का महीना शुरु होतै मड़इन का अपने बच्चन का नाम लिखावैं के चिंता सतावें लागत हवै। काहे से कि सरकार नियम कानून येत्ते बना देत हवै कि मड़ई बिना जाति प्रमाण पत्र अउर निवास प्रमाण पत्र के कुछौ नहीं कइ सकत आहीं। पढ़ाई के साथै शादी जायदाद के कामन मा भी इं कागज लगवावैं का परत हवै। यहिके खातिर सरकार व्यवस्था तौ करवा देत हवै। या नही देखत कि वा चालू हवै। वहिसे मड़इन का, का फायदा हवै। या पलट के काहे नहीं देखत हवै।
चित्रकूट जिला मा तौ कहै का एक सौ आठ जनसेवा केन्द्र बने हवै। जेहिमा मड़ई जा के आपन जाति आय अउर निवास प्रमाण पत्र बीस रुपिया दइ के बनवा सकत हवै, पै उंई केन्द्र कुछ तौ बंद परे हवैं जउन खुले भी हवैं वहिमा समय से काम नहीं होत हवै। या कारन मड़इन का ज्यादा रुपिया दइ दइ के हिंया हंुवा जा के प्रमाण पत्र बनवावैं का परत हवै। का फायदा इनतान जनसेवा केन्द्र खोलै से? मड़ई पहिले भी भटकत रहै अउर अबै भी।
प्रमाण पत्र न बनै से बच्चन के नाम लिखावै मा परेशानी होत हवै तौ कत्तौ बिटिया के शादी अनुदान का रुपिया निकारै मा अड़चन आवत हवै तौ कउनौ आपन जमीन जायदाद का रजिस्ट्री करवावैं खातिर प्रमाण पत्र बनवावैं का भटकत हवै। सरकार के इनतान के व्यवस्था से जनता का कउनौ सुविधा नहीं मिल सकत आय।
कसत बनिहैं प्रमाण पत्र
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