कलम भी क्या कमाल की चीज़ है। सहेली या प्रेमी को चिट्ठी भेजनी हो तो कलम से लिखे जाते हैं अपने संदेश। कवि और लेखक कलम के ज़रिए ही अपनी राय कागज़ पर उतारते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि कलम जिस रूप में आज दिखती है वैसी पहले नहीं थी। मौजूदा रूप पाने के लिए कलम ने हज़ारों सालों का लंबा सफर तय किया।
माना जाता है कि सबसे पहले नुकीले पत्थर कलम के रूप में इस्तेमाल किए गए थे। उसके बाद जानवरों की हड्डियों के बने कलम इस्तेमाल हुए। मोम की पटरी बनाकर उस पर इस कलम से लिखा जाता था। फिर करीब छह हज़ार साल पहले बना कागज़। इसमें हड्डियों की कलम से नहीं लिख सकते थे। एक खास घास की मुलायम लकड़ी का इस्तेमाल हुआ। फिर मोर पंखी की कलम बनीं। फिर करीब एक सौ तीस साल पहले बनीं फांउटेन पेन जिसमें अंदर ही स्याही भरी होती थी।