जिला महोबा, क्षेत्र कबरई भारत सरकार भले ही देश को आगे बढ़ाबे की बात कर रई होबे लेकिन आज भी कछू क्षेत्र हे जो पिछड़े हे। चाह बे विकास के नाम पे हो या फिर स्वास्थ्य शिक्षा और रोजगार को लेके कबरई क़स्बा पत्थर मंडी या क्रेशर उधोग के लाने बोहतई बड़ी मंडी मानी जात।जिला महोबा, क्षेत्र कबरई भारत सरकार भले ही देश को आगे बढ़ाबे की बात कर रई होबे लेकिन आज भी कछू क्षेत्र हे जो पिछड़े हे। चाह बे विकास के नाम पे हो या फिर स्वास्थ्य शिक्षा और रोजगार को लेके कबरई क़स्बा पत्थर मंडी या क्रेशर उधोग के लाने बोहतई बड़ी मंडी मानी जात। जा जगह पे हजारन मजदूर मजदूरी करके अपने परिवार चलात ते लेकिन पिछले पांच साल में इते को पूरो नजारों ही बदल गओ। जो काम हजार मजदूर मिल के करत ते अब बोई काम मशीन द्वारा करो जात। जई से उन हजार मजदूरन के मुह को कोरा छिन गओ। इते के सब मजदूर मजदूरी के लाने पलायन कर रए। लक्ष्मन ने बताई के कोऊ दिल्ली पंजाब चले गये। अब उते जो कछू मिलत तो करने परत। दुनिया भर के आदमी मजदूरी लूट ले जात और गांव के आदमियन को मिलत नइया। पहले गरीब से गरीब के घर में दस पच्चीस हजार रुपइया निकरत ते अब एसे दिन आ गये के कोऊ कोऊ को तो दो टेम की रोटी तक पेट भर के नइ मिल रई। जीते दस आदमी काम करत ते अब उते एक लोडर भर देत। पहले अगर पच्चीस ट्राली भरी तो दस पच्चीस हजार लेवर को मिल जात ते। अब खुद की मशीन ले लई एक ड्राइवर लगा लओ जीते हजार आदमी करत ते अब उते पचास आदमी कर रए। अब मशीने चल गयी तो आदमियन को को पूछ रओ। अगर मशीने बंद हो जेहे तो लेवर से काम हुए तो हर आदमी काम कर हे। राम बाई और मुन्नी बाई ने बताई के अब आठ दिन में सौ रूपइया को काम मिलत जब पूरे दिन पत्थर फोर हे तब। हम इते चालीस साल पहले आय ते काम करबे उते भी न जमीन हती न मजदूरी हती कछू। राम कुमार ने बताई के हमने ठेकेदारी भी करी पत्थर भी टोरे पहले एक दिन में पांच सौ कर लेत ते अब दो सौ मुश्किल हो रए। हमाय बच्चा भी हे पढ़ाई भी नइ करबा पा रए उनकी। अब जा स्थिति आ गयी के आबे वाले समय में कोऊ आदमी नइ रे जेहे। कबरई से सब बहार चले जेहे। जब के कबरई क्षेत्र एसो क्षेत्र हतो जिते महोबा ही नइ बहार के भी मजदूर आत ते मजदूरी करबे। लेकिन मशीनन ने आदमियन की उम्मीदे छीन लई। अब कछू फैक्ट्री खुल जाय तो आदमी कछू करन लग हे।
रिपोर्टर- श्यामकली
Published on Jul 20, 2017