जिला बांदा। 22 अगस्त को खुरहण्ड गांव के किसान जगपत सिंह को कर्ज़ न भर पाने के कारण अतर्रा तहसील के लाक अप में डालकर कजऱ् वसूली का तरीका अपनाया गया।
पचपन वर्षीय जगपत सिंह केे पास मात्र बारह बीघे ज़मीन है। 2005 में इलाहाबाद बैंक से जगपत ने दो लाख रुपए का क्रेडिट कार्ड योजना के तहत कर्ज़ लिया पर भर नहीं पाए। सिर्फ एक बार 2013 में लोक अदालत बांदा से उन्हें नोटिस भेजा गया। फिर अचानक 22 अगस्त 2014 की सुबह कुछ लोग जगपत को गाड़ी में डालकर तहसील ले गए। उन्हें लगभग छत्तीस घण्टे लाकअप में बंद रखा। परिवार वालों के दखल देने के बाद तहसील के कर्मचारियों ने एक लाख रुपए लेकर घबराए हुए जगपत को इस शर्त पर छोड़ा कि वे अपनी खेती बेचकर अब लगभग चार लाख रुपए भरेंगे।
बुन्देलखण्ड किसान यूनियन के अध्यक्ष डाक्टर साहेब लाल शुक्ला ने बताया कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि एक लाख तक की कर्ज़ वसूली के लिए किसानों पर कोई दबाव नहीं डाला जाएगा। यदि कजऱ् की रकम एक लाख से ज़्यादा हो तब भी किसान के साथ किसी भी तरह की ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं की जाएगी। फिर भी धमका कर बैंक अब दलालों के ज़रिए किसानांे से कर्ज़ वसूल रहे हैं। ऊपर से कर्ज़ चुकाने वाले किसानों को कम दाम में अपनी खेती बेचने पर दलालों के ज़रिए मजबूर किया जा रहा है। डाक्टर शुक्ला ने अतर्रा तहसील और जि़म्मेदार अधिकरियों पर न्यायालय की मानहानि का मुकदमा दायर करने की ठानी है।
अतर्रा एस.डी.एम. मनोज कुमार के मुताबिक जगपत सिंह को सोच समझकर ही लाकअप में डाला गया था। बैंक के पास कोर्ट का कोई आदेश नहीं है जिसके अनुसार वे कर्ज़ वसूलने का दबाव नहीं डाल सकते हैं। एक लाख रुपए जगपत सिंह से एक मुक्त धनराशि जमा करने के वादे के तौर पर ली गई थी। उसे इसकी रसीद भी दी गई। इलाहाबाद बैंक मैंनेजर तुलसीराम कहते हैं कि वह अभी पंद्रह दिन पहले आए हैं। इसलिए इस मुद्दे के बारे में कुछ नहीं बता सकते हैं।