कालाहांडी जिला, ओडिशा। यहाँ के नियमगिरि पहाड़ों में बसे बारह में से गयारह ग्राम सभाओं ने यह निर्णय लिया है की इन पहाड़ों में खनन नहीं होगा। इस निर्णय से वेदांता नाम की कंपनी को गहरा झटका महसूस हुआ है। ओडिशा के लंजिगड़ जिले में वेदांता कि एल्युमीनियम फैक्ट्री हैं, जिसे चलाने के लिए नियमगिरि से पदार्थ की ज़रुरत है।
अप्रैल 2012 में देश के सबसे बड़े अदालत ने यह आदेश दिया था कि वेदांता कंपनी की लंजिगड़ में फैक्ट्री और काम तब ही आगे बड़ेगा जब उन इलाकों के लोग स्वीकृत करेंगे, जहाँ खनन होगा। इसका पता लगाने के लिए 18 जुलाई से नियमगिरि पहाड़ के बारह पंचायतों में ग्राम सभाओं को निर्णय लेना है कि खनन हो या न हो एल्युमीनियम (इसको स्फटयातु भी कहते हैं) एक चांदी जैसे बहुत ही हल्का धातु होता है जिस से बर्तन, बिजली के तार, हवाई जहाज़, बिल्डिंग और और कई चीज़्ा बनाये जा सकते हैं। इसे बनाने के लिए बॉक्साइट नाम के पदार्थ को धरती से निकाला जाता है। ओडिशा में बॉक्साइट का भरमार है, पर नियमगिरि पहाड़ों के आदिवासी समुदाय ने इस खनन के खिलाफ काफ़ी आवाई उठाई है। उनका कहना है उनके भगवान् इन पहाड़ों में बसे हैं, और वो इस इलाके को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। अगर सरकार और नेता उनकी जमीन लेती हैं, वो लड़ने के लिए तैयार हैं।
नियमगिरि पहाड़ों में अभ आखिरी ग्राम सभा को अपना निर्णय देना है 19 अगस्त को। पर अभी तक जो आवाज़ नियमगिरि में गूंज रही है, उससे यह स्पष्ट है की देश की ज़मीन और संसाधन को विकास और तरक्की के नाम पर सरकार और कंपनियों का अधिकार हो – इस से लोग बिलकुल सहमत नहीं हैं।
ओडिशा के ग्राम सभाओं की गूंजी आवाज़
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