एते की पांच सौ आबादी वाली बस्ती खा बसे पचासन साल हो गयेे, पे एते की एक किलोमीटर की रास्ता में अभे तक दलदल मचो रहत हे। फुलरानी शान्ति ओर सन्तोष ने बताओ कि बरसात के दो महीना बड़े मुश्किल से कटत हें। हमाये छोट-छोट बच्चा स्कूल नई जा पाउत हें। ऊखे स्कूलन में फ्री की फीस भरने परत हे। बाले ओर महेन्द्र बताउत हें कि हम कुलपहाड़ के चेयरमेन खा वोट देत हें चेयरमैन वोट मांगें खे लाने तो गहरा पहाडि़या के आदमियन खा जानत हे ओर कहत हें कि जीते खे बाद सबसे पहले तुम्हाये मोहल्ला को काम शुरू कराओ जेहे। पे जीते खे बाद कहत हे कि तुम्हाओ मोहल्ला ग्रामीण में आउत हे। प्रधान से कहत हें तो ऊ कहत हे कि मोये क्षेत्र में नइयां। एसई प्रधान ओर चेयरमैंन के बीच में जा रास्ता लटकी हे।
कुलपहाड़ नगर पंचायत के अधिषासी अधिकारी राजकुमार उपाध्याय ने कहो कि ऊ मोहल्ला ग्रामीण कुलपहाड़ में हे। ओते को काम प्रधान कराहे। ऊ लोगन के नाम गांव में हंे। ऊ चेयरमैनी में वोट न डारें।
कुलपहाड़ ग्रामीण प्रधान गेंदारानी को आदमी गुमान कहत हें कि आदमी तहसील में दरखास देय। ओते से जीखा आदेश मिल जेहे ओई ऊ रास्ता खा बनवा दई।