गुजरात के उना के मोटा समाधिया गांव में रहने वाले दलित परिवारों ने 29 अप्रैल को हिदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया है। इन दलितों में वो दलित भी शामिल हैं जिन्हें जुलाई 2016 में कथित तौर पर एक मरी हुई गाय की खाल उतारने के आरोप में कुछ गौरक्षकों ने आधा नंगा करके उना शहर में घुमाया था।
बौद्ध धर्म स्वीकार करने वाले गांव के इन लोगों के साथ आसपास के इलाके के करीब 300 और दलित भी शामिल होंगे। इनका कहना है कि दलितों के खिलाफ लगातार जो अत्याचार हो रहे हैं उसी कारण से ये लोग बौद्ध धर्म अपना रहे हैं।
बता दें कि 2016 में दलितों की पिटाई के विरोध में पूरे देश में दलित सड़कों पर उतर आए थे। इनके ऊपर आरोप लगाया गया था कि इन्होंने गाय को मारा है। लेकिन बाद में जांच से पता चला कि वास्तव में ये दलित पहले से मरी हुई उस गाय की खाल उतार रहे थे। जबकि, गाय को गिर सेंक्चुरी के बाहरी इलाके में किसी जंगली जानवर ने मारा था।
पिछले एक दशक से दर्जन भर से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं जब दलितों ने हिंदू धर्म छोड़कर बोद्ध धर्म या इस्लाम अपनाने की धमकी दी। कुछ मामलों में ज़िला प्रशासन को इस मामले में आवेदन भी दिया गया लेकिन बाद में जिसकी कोई पूछताछ नहीं की गई।