सरकार एक किलो मीटर पर केन्द्र विद्यालय खोल देले छथिन। कयला कि बच्चा सबके सही उम्र में समय से शिक्षा मिले। एई के लेल शिक्षक बहाली कयले छथिन अउर करोड़ो रूपइया खर्च कर रहल छथिन। लेकिन एतना खर्च करे के बावजूद भी लोग अपन काम के दायित्व न दे रहल छथिन।
जइसे कि सीतामढ़ी जिला, रीगा प्रखण्ड के चण्डीया गांव में प्राथमिेक विद्यालय मे बच्चा सबके मध्याह्न भोजन करयला के बाद पढ़ाई न होई छई। एई आधा दिन के पढ़ाई से बच्चा पर कि असर पड़तई। लेकिन एगो इहे विद्यालय न हई, बहुत अइसन विद्यालय के इहे हाल हई। बहुत अइसन विद्यालय मे शिक्षक अउर शिक्षिका आपस मे बात करे लगई छई। लेकिन बच्चा के पढ़ाई अउर समय पर ध्यान न देई छथिन। जेई कारण बच्चा टिपीन मे घर वापस चल जाई छई। एईसे शिक्षक लोग के की बिगरतई? अइसे त बच्चा के भविष्य पर परई छई। गुण्वतापूर्ण शिक्षा के लेके विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्य अउर प्रधानाध्शपक के हर साल बिहार शिक्षा परियोजना से प्रशिक्षण भी देल जाई छई। लेकिन कहां मिलई छई बच्चा के गुणवतापूर्ण शिक्षा। बच्चा के विद्यालय से जोड़े के लेल छात्रवृति, पोषाक-राशि, मध्याहन भोजन, साईकिल योजना इत्यादि प्रलोभन सरकार दे रहल छथिन। जब बच्चा विद्यालय अबई छई त समय से पहिले छुट्टी हो जाई छई। शिक्षा विभाग के लोग तनको ध्यान देथिन त शायद लोग अपन पद अउर काम के जिम्मेदारी समझथिन त बच्चा के गुणवतापूर्ण शिक्षा मिलतई।