जल्द दी भारतीय लोग मोजांबिक की दाल का स्वाद ले सकेंगे। इस देश से भारत बड़ी मात्रा में दाल आयात करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मोज़ांबिक दौरे के दौरान वहां से दाल के आयात के लिए समझौते पर सहमति बन गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, दाल के आयात से मोजांबिक के किसानों को फायदा होगा और भारत की भी जरूरतें पूरी होंगी ।
इस समझौते के तहत पहले साल में यानी 2016-17 में भारत मोज़ांबिक से एक लाख टन अरहर दाल आयात करेगा। हर साल आयात में 25,000 टन की बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव है। 2020-21 तक दो लाख टन अरहर दाल आयात करने की योजना है।
समझौते का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “मोजांबिक से दाल खरीदने के फैसले से भारत को अपनी जरूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी।” तय किया गया है कि दाल की कीमत भारत में न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर होगी और इसमें लाने-ले जाने का खर्च जोड़कर कीमत तय की जाएगी।
यह समझौता दाल संकट से जूझ रही मोदी सरकार की नई रणनीति का हिस्सा है। 2015-16 में दाल की पैदावार 1 करोड़ 70 लाख टन थी। इस कमी को दूर करने के लिए करीब 58 लाख टन दाल का आयात करना पड़ा।
डाटा
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दालों का उत्पादक भी है और ग्राहक भी!
दाल की मांग: 2.2 करोड़ टन प्रति साल से ज्यादा
भारत में उत्पादन: 1.7 करोड़ टन प्रति साल
बाहरी देशों से आयत: 57.9 लाख टन प्रति साल
इतने बड़े पैमाने पर दाल होने पर भी देश में दाल की कमी पड़ रही है! इसका मुख्य कारण हैं जमाखोर. इन्ही के कारण दालों के दाम आसमान छू रहे हैं. मोजांबिक से दाल मंगाने के बाद क्या दाल के दाम कम हो पायेंगे?