ज़िले के सरकारी अस्पताल में गरीब परिवारों के लिए कोई स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं कराई गई है और इसी मामले के खिलाफ संगठन के लोगों ने तबतक अनशन पर बैठने की ठानी है जब तक इन लोगों की मांगें पूरी नहीं होती।
वीरभूमि महोबा के आल्हा चौक में 4 दिसंबर 2021 से कई युवा अनशन पर बैठे हैं। अनशन पर बैठे युवा सत्यमेव जयते युवा मोर्चा के सदस्य हैं। इन युवाओं का कहना है कि ज़िले के सरकारी अस्पताल में गरीब परिवारों के लिए कोई स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं कराई गई है और इसी मामले के खिलाफ संगठन के लोगों ने तब तक अनशन पर बैठने की ठानी है जब तक इन लोगों की मांगें पूरी नहीं होती। अनशनकर्ताओं की मानें तो ये लोग तब तक रोड पर ही प्रदर्शन करते रहेंगे जब तक अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधरती नहीं हैं।
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ज़्यादातर मरीज़ों को कर दिया जाता है दूसरे ज़िले में रेफर-
अनशन पर बैठे सत्येंद्र शुक्ला ने बताया कि 1 साल पहले उनके बेटे की तबीयत खराब हुई थी, महोबा के सरकारी अस्पताल में जाने के बाद अस्पताल से तुरंत उनके बच्चे को बांदा रेफर कर दिया गया। सत्येंद्र की मानें तो उनके बेटे को मामूली सा बुखार था लेकिन उसके बावजूद भी अस्पताल इलाज कर पाने में नाकाम रहा। इस मामले के बाद से उन्हें यकीन हो गया कि इस अस्पताल में किसी तरह का इलाज करवा पाना मुश्किल है।
अनशन पर बैठे युवाओं ने हमें यह भी बताया कि सरकारी अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की काफी कमी है जिससे मरीज़ों को सही इलाज नहीं मिल पाता है। यह लोग तब तक अनशन पर बैठे रहेंगे जब तक ज़िला अस्पताल में अन्य डॉक्टरों की भर्ती नहीं हो जाती।
डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई जाने की है मांग-
अमित सोनी ने बताया कि यहां महोबा जिला अस्पताल में हफ्ते में सिर्फ एक ही दिन एक्स रे किया जाता है और बाकी दिनों मरीज़ों को एक्स रे के लिए अस्पताल से बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में गरीब परिवारों को काफी दिक्कत होती है। अनशनकर्ताओं का कहना है कि वो लोग चाहते हैं कि अस्पताल में 25 नए डॉक्टरों की तैनाती की जाए और 36 कर्मचारियों की तैनाती हो। अनशन पर आए लोगों के अनुसार फिलहाल ज़िला अस्पताल में केवल 10 डॉक्टर काम कर रहे हैं, जिसके कारण मरीज़ों को इलाज के लिए डॉक्टर मिल ही नहीं पाते हैं।
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मरीज़ों को हो रही परेशानी-
विकास साहू ने बताया है ज़िला अस्पताल में रोज़ाना हज़ार से ऊपर मरीज़ों को किसी दूसरे शहर के ट्रामा सेंटर या अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है। जब यहाँ के अस्पताल में स्टाफ और नर्स की कमी रहेगी तब डॉक्टरों को भी मजबूरी में मरीज़ को एडमिट करने से इंकार करना पड़ता है। जो डॉक्टर अस्पताल में मौजूद हैं उन्हें ही दिन-रात वहां ड्यूटी करने को बोला जाता है। लेकिन लोगों की मानें तो कई बार तो ऐसा भी होता है कि अगर रात में मरीज़ अस्पताल पहुँचते हैं तो पूरे अस्पताल या इमरजेंसी वार्ड तक में कोई डॉक्टर या नर्स मौजूद नहीं होते।
अगर कोई ज़्यादा गंभीर मरीज़ आ जाता है तो उसे अस्पताल के ही दवाखाने से दवाई दे दी जाती है और सुबह आने को कह दिया जाता है। या फिर रात ही में उन्हें बांदा, छतरपुर या झांसी के लिए रेफर कर दिया जाता है।
बता दें कि इन लोगों ने 15 दिन पहले भी इसी मामले को लेकर डीएम को एक ज्ञापन सौंपा था, लेकिन जब वहां से भी कोई सुनवाई नहीं हुई तब इन लोगों ने अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए अनशन पर बैठने की ठानी।
महोबा के एसडीएम जितेंद्र कुमार का कहना है कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है कि लोग धरने पर बैठे हुए हैं। अब वो धरना स्थल पर जाकर मुआयना करेंगे और उन लोगों की मांगों को सुनेंगे। और इसके बाद इस मामले में ज़रूरी जांच करके कार्यवाही की जाएगी।
महोबा ज़िले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एसके सिन्हा ने बताया कि उनके ज़िले में हर अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है। उन्होंने इस बात की शिकायत करते हुए कई बार लखनऊ शासन में लिखित भी दिया है लेकिन वहां से भी अबतक उन्हें कोई राहत नहीं मिली है।
इस खबर की रिपोर्टिंग श्यामकली द्वारा की गयी है।
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