युवाओं के प्रेरणाश्रोत हैं युवा लेखक सौरभ द्विवेदी के द्वारा लिखी कुछ पंक्तिया |
लिखें क्या वक्त का तकाज़ा हैं, दर्द कल जितना था
आज भी उतना ताज़ा है
चित्रकूट जिले के लेखक सौरभ द्विवेदी जो अपने लेख से सामाजिक भेदभाव, उंच-नीच से हटकर अच्छी सोंच यूथ मे लाना चाहते हैं लेकिन परिवार के सपोर्ट न मिलने पर उनका मनोबल कही न कही टूट रहा है। बहुत सी.मैगजीन में अपने लेख लिखते हैं पेपर मे कुछ न कुछ देते रहते हैं शोशल मिडिया मे भी एक्टिव रहते हैं ,ये ज़्यादातर युवाओं की सोच बदलने क लिए लिखते हैं चाहे ज़िन्दगी की सफलता हो या आर्थिक क्षेत्र से सम्बंधित हो |
इनकी लिखने की रूचि इनकी डायरी लेखन से शुरू हुई | फिर इन्होने संपादक पृष्ठों पर लेख लिखे |
लेखक सौरभ द्विवेदी ने अपने दिमाग में उत्पन्न विचारों, कल्पनाओं को कागज पर उलेढ़ कर अपनी लेखन की कला को शब्दों से सजाया है। कहते हैं न जब तक एक चित्रकार अपनी रचना को आपस में जोड़ नहीं देता तब तक वो चित्र नहीं बनाता , उसी तरह एक लेखक जब तक अपनी रचना के हर हिस्से को एक दूसरे से नहीं जोड़ देता वो रचना नहीं कहलाती।
सौरभ द्विवेदी ने कई रचनाएं किन्नरों की जिन्दगी पर पर लिखी हैं | किस तरह होती है उनकी जिन्दगी, उनको भी खुल कर जीने का अधिकार है। गाय जिसपर इतनी राजनीति होती रहती है यूँ कहें की गाय एक राजनीतिक मुद्दा है जिस पर उन्होंने बहुत लिखा है।
सौरभ द्विवेदी कहते हैं आपकी जैसी दृष्टि होगी वैसी सृष्टि, मतलब आपकी जैसी दृष्टि होगी वैसी ही श्रृष्टि बनती चली जाएगी, सोशल मीडिया पर फेंक न्यूज़ का बहुत चलन है लेकिन बात है आप किस नजरिये से देखते हैं सोशल मीडिया सोशल मीडिया पर क्यों है अपनी बात कह पाना आसान?पर बहुत गाली गलौज भी होता है लेकिन बस ये बात है की हम सोच बदलने के लिए कितना काम करते हैं।
सोशल मिडिया में नए रिश्ते भी बन सकते हैं अब आपके नज़रिए पर निर्भर करता है आप किसी भी चीज़ को कैसे दृष्टिकोण से देखते हैं |