खबर लहरिया ताजा खबरें बाँदा- तोड़कर बंदिशें सारी मैं मुस्कुराना चाहती हूँ- लेखिका छाया सिंह

बाँदा- तोड़कर बंदिशें सारी मैं मुस्कुराना चाहती हूँ- लेखिका छाया सिंह

बांदा शहर निवासी छाया सिंह जो अपने को कवियत्री और लेखिका स्थापित करने की जद्दोजहद में हैं। 15 नवम्बर को उनकी एक किताब ‘सांझी छत’ का विमोचन हुआ। छाया सिंह बताती हैं कि उनकी पढ़ाई विज्ञान वर्ग से हुई। उनके ससुराल और मायके में दूर-दूर तक भी कोई लेखक या कवि नहीं है। सब सरकारी या गैर सरकारी जॉब करते हैं फिर भी उनका शौक उनको लेखक की तरफ मोड़ ले गया।

शादी के बाद ससुराल में उनको सामान्य जीवन जीना पड़ रहा था। सामाजिक रीति-रिवाज के चलते चारदीवारी और पर्दे के अंदर घुट रही थीं। उनका मन था कि वह भी अपने जीवन में कुछ करें। अपनी खुद की पहचान बनाएं। लोग उनको उनकी पहचान से जाने। जब लोग उनको पति की पहचान से जानते तो उनको बहुत कचोटता।

ऐसे भी मौके उन्होंने साझा किए कि जब उनके पति ने मेरी पत्नी कहकर परिचय दिया तो उन्होंने टोकते हुए कहा कि पत्नी का नाम भी बता सकते हैं। कुछ समय के बाद वह अपने को ससुराल की ज्वाइंट फैमिली से अलग किया तब उन्हें खुद के टाइम मिला अपने शौक पूरे करने के लिए और रच डाली कई रचनाएं।