विश्व कैंसर दिवस
कैंसर! यह शब्द सुनते ही उन लोगों की रग-रग थर्राने लगती है जो स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हैं या उसके मामले में थोड़े बहुत भी सयाने हैं। सर्वाइकल कैंसर ब्रेस्ट कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, ब्लड कैंसर, मुख कैंसर से हर साल लाखों लोग काल के गाल में समा जाते हैं। विश्व कैंसर दिवस हर साल 4 फरवरी को आयोजित किया जाता है, ताकि दुनिया भर में कैंसर को लेकर जागरुकता फैलाई जा सके। कैंसर के लगभग 100 प्रकार बताये गये हैं लेकिन स्तन कैंसर, मुंह का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर,फेफड़ों का कैंसर सबसे घातक होता है।
1933 में अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ ने स्विट्जरलैंड में जिनेवा में पहली बार विश्व कैंसर दिवस मनाया। यह दिवस कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने, लोगों को शिक्षित करने, इस रोग के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दुनिया भर में सरकारों और व्यक्तियों को समझाने तथा हर साल लाखों लोगों को मरने से बचाने के लिए मनाया जाता है।
विश्व भर में फैली एक ऐसी खतरनाक और जानलेवा बिमारी है कैंसर, जिसका नाम सुनते ही शरीर में सिहरन दौड़ जाती है। मन से मजबूत व्यक्ति भी इसकी चपेट में आते ही हिम्मत हार जाता है। आजकल के युवा जो आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में खुद को तनाव मुक्त रखने के लिए धूम्रपान का सहारा लेते हैं। विश्व को कैंसर मुक्त करने के लिए आप भी कदम बढ़ाएं और खुद तथा अपने सगे सबंधियों को तंबाकू, सिगरेट, शराब आदि से दूर रहने की सलाह दीजिए।
खबर लहरिया ने हेलो डॉक्टर एपिसोड में कैंसर से बचने के लिए डॉक्टर से चर्चा की है आप यहाँ देख सकते हैं।
भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं कैंसर के मरीज
विश्व स्वास्थ्य संगठन” की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. पिछले दिनों 11 लाख से ज्यादा कैंसर के नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 7 लाख 84 हजार 800 लोगों की मौत कैंसर से हुई है। 22 लाख से ज्यादा लोग पिछले 5 साल से कैंसर से जूझ रहे हैं. भारत में कैंसर को लेकर ये सबसे ताजा आंकड़ें हैं. भारत की 135 करोड़ की आबादी के लिए कैंसर जानलेवा साबित होती जा रही है। हर साल मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। भारत की 135 करोड़ की आबादी के लिए कैंसर जानलेवा साबित होती जा रही है। हर साल मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
पुरुषों में होने वाले कैंसर के मामलों में 34 से लेकर 69 फीसदी मामले तंबाकू को लेकर हैं। वहीं 10 से लेकर 27 फीसदी महिलाओं को तंबाकू की वजह से कैंसर होता है। तंबाकू की वजह से सबसे ज्यादा कैंसर फैल रहा है। खासकर पुरुषों में इसकी वजह से कैंसर के मामलों में काफी इजाफा देखा गया है। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने कैंसर से जूझते हुए भी हार नहीं मानी। इलाज व आत्मशक्ति के बल न सिर्फ कैंसर को मात दी, बल्कि दूसरे लोगों के अंदर भी जज्बा पैदा किया।
सोनाली बेंद्रे
सोनाली बेंद्रे मेटास्टेटिक कैंसर से जंग लड़ चुकी हैं। सोनाली बेंद्र ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी थी। सोनाली बेंद्रे ने न्यूयॉर्क में इलाज करवाया था। ‘हम साथ-साथ हैं’ जैसी फिल्मों में अपने शानदार एक्टिंग से लोगों का दिल जीतने वाली सोनाली ने कैंसर से भी जंग जीती है।
मनीषा कोइराला
मनीषा कोइराला ने बॉलीवुड फिल्म ‘सौदागर’ से डेब्यू किया था और उनका सॉन्ग ‘ईलू ईलू’ खूब लोकप्रिय भी हुआ था। मनीषा कोइराला को 42 साल की उम्र में, उन्हें ओवेरियन कैंसर का पता चला था जिसके लिए उन्होंने न्यूयॉर्क में इलाज कराया। कई सर्जरी और कीमोथेरेपी के बाद, उन्हें 2015 में कैंसर-मुक्त घोषित किया गया था।
युवराज सिंह
सिक्सर किंग के नाम से पहचाने जाने वाले युवराज सिंह कैंसर किंग के नाम से भी जाने जाते हैं। 2011 में भारत
को विश्व विजेता बनाने वाले इस खिलाड़ी ने अपनी टीम के साथ मिलकर दुनियां को हराया और फिर अकेले कैंसर की जंग लड़े। इस लड़ाई में युवराज के ज़ज्बे और मैदान में वापसी की इच्छाशक्ति के सामने कैंसर ने समय से पहले ही घुटने टेक दिए। युवराज को बहुत ही दुर्लभ तरह का कैंसर हुआ था लेकिन युवराज ने इसे भी बड़ी आसानी से हराकर मैदान में वापसी की। कैंसर युवारज का कुछ नहीं बिगाड़ सका लेकिन युवराज की जंग अभी भी जारी है। उन्होंने यू वी कैन नाम की एक संस्था खोली है। यह संस्था कैंसर के खिलाफ जंग में लोगों की मदद करती है और अब तक ढेरों जिंदगियां इस संस्था की वजह से बची है। मतलब की युवराज न ही अपनी जिन्दगी की जंग जीत रहें बल्कि और लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं। ये तो बस उदाहरण है कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने कैंसर को हराकर नई जिन्दगी पाई है तो कोई जिन्दगी की जंग लड़ रहा।