जानिये क्या है अल्जामइर बीमारी और किस तरह से किया जा सकता हैबचाव बचाव।
21 सितंबर यानी आज विश्व अल्जाइमर दिवस (Alzheimer Day) मनाया जाता है। यह बीमारी एक उम्र के बाद लोगों में होने लगती है, जिसमें लोग चीजों को याद नहीं रख पाते हैं। जैसे ही उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे शरीर को बहुत-सी बीमारियां घेरना शुरू कर देती हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख बीमारी बुढ़ापे में भूलने की आदतों की है जिसे अल्जाइमर्स-डिमेंशिया कहते हैं।
अल्जाइमर दिवस मनाने का उद्देश्य
लगातार इस बिमारी से ग्रसित होने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसलिए इस बीमारी से बचाने के लिए हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर्स-डिमेंशिया दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों में जागरूकता लाना है ताकि घर-परिवार के बुज़ुर्गों को जिनकी महत्वता परिवार में कई ज़्यादा होती है उन्हें इस बिमारी से बचाया जा सके। अल्जाइमर्स में दिमाग में होने वाली नर्व सेल्स (तंत्रिका कोशिकाएं) के बीच होने वाला जुड़ाव कमज़ोर हो जाता है।
जानिए दो तरह के अल्जाइमर के बारे में
न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट, पारस अस्पताल, गुरुग्राम के हेड डॉ. रजनीश कुमार कहते हैं कि बचपन का अल्जाइमर एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल दो अलग-अलग बीमारियों के लिए किया जाता है। पहला तब जब बच्चों की याददाश्त कम हो जाती है। दूसरा अन्य लक्षण आमतौर पर अल्जाइमर बीमारी से जुड़े होते हैं। बचपन के अल्जाइमर को ‘नीमन-पिक डिजीज टाइप सी (एनपीसी) और सैनफिलिपो सिंड्रोम या म्यूकोपॉलीसेकेराइडोसिस टाइप III (एमपीएस III) कहा जा सकता है। दोनों बीमारियों को लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर के रूप में जाना जाता है। जब किसी बच्चे को इनमें से कोई एक आनुवंशिक बीमारी होती है तो उसकी कोशिकाओं के लाइसोसोम ठीक से काम नहीं करते हैं। लाइसोसोम कोशिकाय पाचन में मदद करता है।
60 साल से अधिक उम्र के लोग ज़्यादा प्रभावित
धीरे-धीरे यह रोग दिमाग में अव्यवस्था का रूप लेता है और याददाश्त को खत्म करता है। ऐसे में बढ़ती उम्र के साथ सोचने की क्षमता भी कम होती जाती है। ये इतना खतरनाक है कि इसमें बुजुर्ग 1-2 मिनट पहले हुए बात को भी भूल जाता है। आमतौर पर अल्जाइमर वृद्धावस्था में होता है। यह 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को ज़्यादा प्रभावित करता है। बहुत ही कम मामलों में 30 या 40 की उम्र में लोगों को ये बीमारी होती है।
बुजुर्गों का खास ध्यान रखने की जरूरत
इस भूलने की बीमारी पर काबू पाने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को स्वस्थ रखने की ज़रुरत होती है। इसके साथ ही नकारात्मक विचारों को अपने मन पर हावी न होने दे। सकारात्मक विचारों के बारे में सोचें और खुश रहें। अपनी पसंद के गाने सुनें, खाना बनाये और खाएं, जिसमें आपकी रुचि है वह काम करें। अगर आप यह काम करेंगे तो आप इस बिमारी से खुद का बचाव कर सकते हैं।
ये लक्षण अधिक होने पर डॉक्टर से करें परामर्श –
इस बीमारी के कारण व्यक्ति में गुस्सा, चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है। लोग धीरे-धीरे रोजमर्रा की छोटी-छोटी चीजें भूलने लगते है।
– याददाश्त में कमी
– सामान्य काम करने में मुश्किल होना
– जरूरत की चीजों और लोगों के नाम भूलना
– फैसला लेने में कठिनाई या गलत निर्णय लेना
– चीजों को रखकर हमेशा भूल जाना
-स्वभाव या पूरे व्यक्तित्व में बदलाव
– बहुत अधिक सोना और काम में मन न लगना
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